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पैकरमा १९५७
पैरवी सों न जात कछु कही है"-दास । से । वि० पैदली । संज्ञा, पु. (दे०) पैदल उस दशा या अवस्था में । (हि० पह) पास, सिपाही । पदाति (सं०) पद-चरण, शतरंज निकट, प्रति, श्रोर । प्रत्य० दे० (सं० उपरि) में एक छोटा मुहरा।
ऊपर, पर, से, द्वारा । संज्ञा, स्त्री० दे० पैदा-वि० फा०) प्रसूत, उत्पन्न, प्रगट, (सं० आपत्ति ) ऐब, दोष । संज्ञा, पु० दे० प्राप्त, कमाया हुआ, उपार्जित, प्रभूत । (सं० पय) दूध, पानी।
* संज्ञा, स्त्री० (दे०) आय, लाभ, श्रामदनी । पैकरमा* -संज्ञा, स्रो० (दे०) परिक्रमा पैदाइश-संज्ञा, स्त्री० [फा०) जन्म, उत्पत्ति । (सं०) परिकरमा (ब)।
पैदाइशी-वि० (फा०; जन्म का, प्राकृतिक । पैकार--संज्ञा, पु. (फा०) छोटा व्यापारी, पैदावार--संज्ञा, स्त्री० (फा०) खेत से अन्नादि फेरी लगा कर फुटकर सौदा बेंचने वाला। की उपज, फसल । पैखाना-संज्ञा, पु० दे० (फा० पाखाना), पैना-वि० दे० (सं० पेगा ) तेज़, बारीक पाखाना, टही, मैला, मल त्याग का स्थान । नोक या धार वाला। संज्ञा, पु० (दे०) पैग़म्बर- संज्ञा, पु. (फ़ा०) परमेश्वर का औगी (प्रान्ती०), बैल हाँकने की लोहे की
दूत या संदेशवाहक । जैसे-मुहम्मद, ईसा। नोकदार छोटी छड़ी। स्त्री० पैनी । पैज* -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० प्रतिज्ञा ) प्रण, पैमाइश-संज्ञा, स्त्री० (फा०) माप, नाप,
पण, (व०) हठ,प्रतिज्ञा, टेक, अहद, होड़। माप की क्रिया या विधि । पैजामा-संज्ञा, पु० (दे०) पायजामा (फ़ा०)। पैमाना-संज्ञा, पु० ( फा० ) मानदंड, नापने पैजार - संज्ञा, स्त्री० ( फा०) जूता, जोड़ा, का यंत्र या साधन, शराब का गिलास । जूती। यौ०-जूती-पैजार (होना)--जूते पैमाल-वि० दे० ( फ़ा० पामाल ) की मार-पीट होना, जूता चलना, लड़ाई- पामाल, नष्ट। झगड़ा होना।
पैंयाँ-संज्ञा, स्त्री० दे० (पाँय ) पैर, पाँव । पैठ-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० प्रविष्ट ) प्रवेश, यौ० क्रि० वि० पैयाँ-पैयाँ-- पैर-पैर ।
गति, पहुँच, दखल, पैठने का भाव । पैया-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पाय्य = निकृष्ट ) पैठना-अ० क्रि० दे० (हि० पैठ । ना
बिना सत का अनाज का दाना, खोखला, प्रत्य० ) प्रविष्ट होना, प्रवेश करना, घुसना। खुक्ख, दीन-हीन, निर्धन ।। स० रूप-पैठाना, प्रे० रूप-पैठवाना।
पैर-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पाद ) जीवों के पैठार* -संज्ञा, पु० दे० ( हि० पैठ+ पार |
चलने का अङ्ग, पाँव, धूलि पर पड़ा पद--प्रत्य०) प्रवेश, पैठ, फाटक, पहुँच, गति।
चिन्ह । मुहावरों के लिए देखो “पाँव"। स्त्री० पैठारी-पहुँच, गति । पैड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पैर ) सीढ़ी।
पैरगाड़ी-संज्ञा, स्त्री० ( हि०) साईकिल,
- ट्राइसिकिल, बाईसिकिल, (अ.) बैठ कर पैर पैतरा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० पदांतर ) कुश्ती
| से दबाने पर चलने वाली हलकी गाड़ी। या युद्ध में खड्ग चलाने में पाँव रखने की। रीति या मुद्रा, वार करने का ढंग। परना-ग्र० क्रि० दे० ( सं० प्लावन ) तैरना । पैताना-संज्ञा,पु० दे० (सं० पादस्थान)पायँता। स० कि० - पैराना, प्रे० रूप-पैरवाना। पैतृक-वि० (सं०) पितृ-सम्बन्धी, पूर्वजों या |
" लरिकाई को पैरबो, पागे होत सहाय"। पुरखों की, पुश्तैनी।
| पैरवी-संज्ञा, स्त्री० (फा०) अनुगमन, पैदर-पैदल-वि० दे० (सं० पादतल ) पीछे पीछे चलना, पक्ष लेना, प्रयत्न, दौड़धूप, पाँव से चलने वाला क्रि० वि० पैरों पैरों | श्राज्ञा-पालना, पक्ष-समर्थन ।
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