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प्रगना
११४७
पूतरी-पूतली पूगना-अ० क्रि० दे० ( हि० पूजना ) पूजना, । पूजित-वि० ( सं० ) अर्चित, पाराधित, पूर्ण या पूरा होना, मिलना, पास जाना पूजा किया हुआ । स्त्री० पूजिता । प्रगी-सज्ञा, स्त्री० द० सं० पूगफल, सुपारी | पूज्य–वि० (स.) पूजनीय । स्त्री० पूज्या। पूछ-संज्ञा, स्त्री० (हि. पूछना ) खोज, | पूज्यपाद-वि० यो० (सं०) अत्यन्त मान्य
तलाश, जिज्ञामा, पादर, चाह, आवश्यकता या पूज्य. जिलके पैर पूजने योग्य हों, पिता पूछताछ -- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पूछना ) गुरु आदि। जिज्ञापा, तलाश, खोज, तहकोकात, जाँच | पूठ-पूठा - सज्ञा, पु० (दे०) पृष्ठ (सं०) प्रकना-स० क्रि० दे० (स० पृच्छणा) टोकना, पुट्ठा, गाता, जिल्द । प्रश्न या जिज्ञासा करना, खोज-खबर लेना. पूाठ । सज्ञा, स्त्री० (दे०, पृष्ठ (सं०) शीठ । दरियाप्त करना. श्रादर या सत्कार करना, | पूड़ा-सज्ञा, पू० ( दे० ) (सं० पूप ) पूभा, ध्यान देना, गुण या मूल्य जानना । मुहा० | पुत्रा मालपुआ। -- बात न पूछना-अादर-सत्कार न | पूड:-सज्ञा, स्त्री० दे० (स. पूलिका ) पूरी। करना तुच्छ जान ध्यान न देना । यौ० संज्ञा, पूणा-पूना-सज्ञा, स्त्री० (दे०) रुई की स्त्री० (दे०) प्रकपाक-पूछताछ ।
पहल, पान (ग्रा.)। परी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पूछ ) पूँछ । पूत-वि० (स०) शुद्ध पावन, शुचि । सज्ञा, पूराताका-पूछापाछी-सज्ञा, स्त्री० (दे०) | पु० (सं०) शंख, सत्य, श्वेत कुश, पूछताछ, पूछपाछ ।
तिल का पेड़, पलास । सज्ञा, पु० दे० (स. पूजक-सज्ञा, पु० (सं० ) पूजा करनेवाला | पुत्र ) पुत्र, लड़का, बेटा । " दृष्टि पूर्त पुजारी।
निसेत्यादम्”- मनु। पूतन- संज्ञा, पु० (सं०) अर्चन, वन्दन, सत्कार पूतना सज्ञा, खो० (स०) एक राक्षसो जिसे श्राराधना सम्मान देव-सेवा । (वि० पूजक, | कंस ने बाल कृष्ण को मारने के लिये भेजा पूजनाय, पूज्य, पूजितव्य ।।
था कृष्ण का इने विष-लिप्त स्तन पिलाये पूजना-२० क्रि० दे० (सं० पूजन ) देव देवी और कृष्ण ने दूध पीते पीते इसके प्राण
की प्रसन्नतार्थ अनुष्ठान करना आराधना या खोंच लिये, बालरोग या ग्रह । " पूतना अर्चन करना, सम्मान या श्रादर करना, बाल धातिनी " भ० द०, “ यः पूतना रिशवत या घूस देना ( व्यंग्य ) । अ० क्रि० मारण-लब्ध-कीर्तिः"-। दे० ( पूर्यते) पूर्ण या पूरा होना, भरना. पूतनारि-पूतनारा-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) चुकता होना, बीतना पटना, समाप्त हाना। श्री कृष्ण जी पूतना के शत्रु या बैरी । यौ० "पूर्जाह मन-कामना तिहारी"-रामा० | सज्ञा, स्त्री. ( हि० ) शुद्ध स्त्री। पूजनाय-वि० स०) अर्चना या पूजन योग्य, | पूतनासूदन--- सज्ञा, पु० यौ० (सं०) पूतना वदनीय, आदरणीय, सत्कार योग्य, पूज्य ।। के मारने वाले कृष्ण। पूजमान-वि० (दे०) पूज्य (सं.)। पूतरा-सज्ञा, पु० दे० (सं० पुत्रक ) पूजा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अर्चन, आराधन, पुत्र पुतला स्त्री० पूतरी । “ कागज कैसो देवी देवता के प्रति भक्तिमय समर्पण का पूतरा, सहजहि में धुलि जाय".--रही। भाव प्रगट करने का कार्य, अर्चा, श्रादर | पूतरो-पूतली-- सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुत्रिका) सरकार, सम्मान, धर्माथ देवादि पर फल- पुतली, पुत्तरा, पुतरी । “ सूर पाजलौं फूलादि चढ़ाना या रखना, घूस, रिशवत, सुनी न देखी पात पृतरा पाइत'"-सूर० । अकोर, दंड, ताड़न, प्रसन्नतार्थ कुछ देना। "अत लूटि जैहो ज्यों पूत गत की।"
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