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अपजय
१०४
अपत्य
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अपजय-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पराजय, “जनमहि ते अपड़ाव करत हैं गुनि गुनि
हियो कहैं '—सूबे० । अपजसा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० अपयश) अपढ़--वि० दे० ( सं० अपठ ) बिना पढ़ाअकीर्ति, अयश।
लिखा, मूर्ख, अनपढ़। अपञ्चीकृत---संज्ञा, पु० (सं० ) सूक्ष्मभूत, (दे० ) अनाड़ी, अज्ञानी। आकाश श्रादि पंच महाभूतों के पृथक् स्त्री० अपढ़ी। पृथक भाव ।
अपत* - वि० (सं० अ-- पत्र ) पत्र या अपट, अपटक-संज्ञा, पु० (सं०७+ पटक पत्तों से हीन, बिना पत्ते का, आच्छादन
-वस्त्र ) अर्धाङ्गी, पक्षपाती, दिगंबर, रहित, नग्न । वस्त्र-हीन ।
वि० (सं० अपात्र) अधम, नीच, अप्रतिष्ठित । अपटन -संज्ञा, पु. ( दे०) उबटन, वि० ( अ-+पत -- लज्जा) निर्लज्ज, पापी। बटना।
"अब अलि रही गुलाब मैं, अपत कंटीली अपटी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) वस्त्र-प्रावरण,
__डार".-वि०। कनात, तम्बू, शामियाना ।
अपतई --संज्ञा, पु० दे० ( हि० अपत ) अपटु-वि० ( सं० ) जो पटु या दक्ष न हो,
निर्लज्जता, बेशर्मी, बेहयाई, ऊधम, उत्पात, अकुशल, अचतुर, अनिपुण, निर्बुद्धि,
चपलता, धृष्टता। व्याधित, रोगी, सुस्त, आलसी।
अपताना - संज्ञा, पु० (हि. अप :-- अपना संज्ञा, स्त्री० अपटुता।
- तानना ) जंजाल, झंझट, झमेल, प्रपंच । अपमान-वि. (दे० ) (सं० अपठ्य
अपति*--- वि० स्त्री० (सं० अ पति ) मान ) जो पढ़ा न जाय, न पढ़ने के योग्य ।
बिना पति की, विधवा, पति-विहीना । अपठ-वि० ( सं० ) अपढ़, (दे०) जो
वि० (सं० अ-+पत्ति-गति ) पापी, दुष्ट । पढ़ा न हो, मूर्ख, अनपढ़ा, बेपदा, अशि
संज्ञा, स्त्री. (सं० आपत्ति) दुर्गति, दुर्दशा, क्षित, अपद, निरक्षर भट्टाचार्य ।
अनादर, अपमान, अप्रतिष्ठा, कुदशा । अपठित-वि० (सं०) अशिक्षित, बेपढ़ा,
अपतित-वि. पु. ( सं० ) जो पतित न अपढ़, मूर्ख ।
हो, स्त्री. अपतिता। स्त्री० अपठिता।
अपतिनी-अपतिनीक वि. पु. ( सं. अपडर*-संज्ञा, पु. (सं० अप+डर ) अपत्नी ) पत्नी-रहित, जिसके स्त्री न हो। भय, शंका, डर, भीति ।
अपतियाना-- स० क्रि० (दे० ) न पतिअपडरना* ---अ० कि० दे० ( हि० अपडर) याना, या विश्वास न करना।
भयभीत होना, डरना, सशंकित होना। अपतियारा-वि० (दे०) विश्वास-घातक, अपड़ाना*----अ० कि० (सं० अपर) खींचा- कपटी, छली। तानी करना, रार या झगड़ा करना, लड़ना. अपतोस -संज्ञा, पु. (सं० अपतोप) झगड़ना।
( फा० अफ़सोस ) दुख, पश्चात्ताप, पछिसंज्ञा, अपड़ाव।
तावा, खेद, असंतोष । अपड़ाव -संज्ञा, भा० पु. (सं० अपर ) । “ए सखि काहि करब श्रपतोस'.... विद्या । झगड़ा, तकरार, टंटा, रार, लड़ाई। अपत्य-संज्ञा, पु. ( सं० ) संतान, औलाद, क्रि० अपड़ाना।
पुत्र-पुत्री, बेटा-बेटी।
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