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पाठ्य
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पाठ - संज्ञा, पु० (सं०) संथा. सबक़, पुस्तक को बिना अर्थ के मूलमात्र पढ़ना धर्म-ग्रंथ का नियमानुसार पठन पढ़ा या पढ़ाया गया, पढ़ाई, श्रध्याय, परिच्छेद । मुहा० - पाठ ( कुपाठ ) पढ़ाना - स्वार्थहेतु बहकाना | कीन्हेसि कठिन पदाइ कु.पाहू'- रामा० । उलटा पाठ पढ़ानाबहका देना. कुछ का कुछ समझा देना | शब्द या वाक्य-योजना । वि० - पाठ्य । पाठक - संज्ञा, पु० (सं०) पढ़ने वाला बाँचने वाला. पाठ करने या पढ़ाने वाला, अध्यापक. धर्मोपदेशक, ब्राह्मणों की एक पदवी या जाति ।
पाठदोष -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पढ़ने का ऐब या निंदनीय ढंग |
पाठन - संज्ञा, पु० (सं०) पदाना, अध्यापन । यौ० - पठन-पाठन | वि० पाठनीय । पाठना - स० क्रि० दे० ( हि० पढ़ाना ) पढ़ाना |
पाठ-भेद - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाठांतर । पाठशाला - संज्ञा, खो० यौ० (सं०) चटशाला, विद्यालय, मदस, स्कूल |
पाटसन - संज्ञा, पु० दे० ( हि० पटसन ) पाठांतर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाठ-भेद,
दूसरा पाठ, एक ग्रंथ की दो प्रतियों में शब्द, वाक्य या क्रम में अन्तर ।
पाटना
का एक मंत्र, घर के ऊपर की अटारी या
छत ।
पाटना - स० क्रि० दे० ( हि० पाट) गढ़े को भर देना, छत बनाना, तृप्त करना, चुकाना (ऋण) सींचना | पाटमहिषी-संज्ञा, स्रो० यौ० (सं०) पटरानी । CC जनक पाटमहिषी जग जाना - रामा० । पाटरानी -- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० पाटराज्ञी ) पटरानी ।
पाटल - संज्ञा, पु० (सं०) पाढर का वृक्ष । पाटला- संज्ञा, स्त्री० (सं०) पावर का पेड़, लाल लोध, दुर्गा । "स पाटलायाम् गवितस्थवांसम् " ३६० । संज्ञा पु ं० (दे०) एक प्रकार का सोना । पाटलिपुत्र- पाटलीपुत्र - संज्ञा, पु० (सं०) मगध या बिहार की राजधानी, पटना नगर । पाटली - संज्ञा, स्त्री० (सं०) पांडुफली पाडर, पटना की एक देवी |
पाटव - संज्ञा, पु० (सं०) चतुराई, कुशलता, पटुता, दृढ़ता, विज्ञता, नैपुण्य, आरोग्यता । पाटवी - वि० ( हि० पट ) पटरानी का पुत्र, रेशमी या कौषेय कपड़ा ।
पटसन, एक प्रकार का सन । पाटा-संज्ञा, पु० ( हि० पाट ) पीढ़ा, पट्टा । पाटिका - संज्ञा, स्त्री० (सं०) पौधा विशेष, छाल, छिलका, एक दिन की मज़दूरी । पाटिया - संज्ञा, पु० (दे० ) पटिया, ठुस्सी, गले का एक सोने का बना गहना । पाटी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) रीति परिपाटी, अनुक्रम. जोड़, बाकी, गुणा श्रादि का क्रम, पंक्ति, श्रेणी, बालों की पटिया। मुहा०पाटी पढ़ना-पाठ पढ़ना शिक्षा पाना । पाटी पारना - माँग के दोनों ओर बालों की पटिया बनाना, चारपाई की लम्बी पट्टी | चट्टान, खपरैल की नाली का श्रर्धभाग । पाटीर - संज्ञा, पु० (सं०) चंदन |
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पाठा - संज्ञा, खो० (सं०) पाढ नामक लता । संज्ञा, पु० दे० (सं० पुष्ट ) जवान, हृष्ट-पुष्ट, मोटा ताजा, पट्ठा, भैंसा, बैल यादि । स्त्री० पाठी, पठिया ।
पाठालय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाठशाला | पाठित - वि० (सं०) पढ़ाया हुआ । पाठी - संज्ञा, पु० (सं० पाठिन ) पाठक, पाठ करने या पढ़ने वाला, चीता या चितावर | पाठीन - संज्ञा, पु० (सं०) मछली का भेद । पढ़िना (दे० ) । "मीन पीन पाठीन पुराने "
-रामा० ।
पाठ्य - वि० (सं०) पदने योग्य, पाठनीय ।
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