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पलुवा-पलुवा १०१८
पपई गंदा, दुष्ट, नीच । संज्ञा, पु० दे० (हि. | पल्लवी-संज्ञा, पु. ( सं० पल्लविन् ) पेड़, पलीत ) भूत-प्रेत । मुहा०-मिट्टी पलीत | वृक्ष, जिसमें पत्ते हों।
या पलीद करना-बरबाद करना। पल्ला -क्रि० वि० दे० (सं० परवापार ) दूर। पलुवा-पलुवा-संज्ञा, पु० दे० (हि. संज्ञा, पु० (सं०) दूरी । संज्ञा, पु० (दे०) वस्त्र पलना ) पालतू, पालित, पाला हुआ। का छोर, आँचर, दामन । यौ०-पासपलुहना -स० क्रि० दे० ( सं० पल्लव ) | पल्ले । मुहा०- पल्ले होना-पास होना। हराभरा या पल्लवित होना।
पल्ला छूटना-पीछा छूटना, छुटकारा पलुहाना -स० क्रि० दे० ( हि० पलुहना ) | मिलना । पल्ला पसारना-किसी से कुछ पल्लवित या हराभरा करना, गाय-भैंस का | माँगना । पल्ले पड़ना-प्राप्त होना, दूध के लिये प्रायन सहलाना।
मिलना । पलना पकड़ना-धाश्रय लेना। पलेड़ना*-स० क्रि० दे० (सं० प्रेरण) किसी के पल्ले बांधना-ज़िम्मे किया धक्का देना या ढकेलना।
जाना । पल्ले बँधना-गले पड़ना,आश्रित पलेथन, पलोथन- संज्ञा, पु० दे० (सं० होना। तरफ़, पास, अधिकार में । संज्ञा, परिस्तरण ) सूखा पाटा जो रोटी बनाते वक्त | पु. (सं० पटल ) दुपल्ली टोपी का रोटी में लगाया जाता है, परोथन, परेथन | आधा हिस्सा, पटल, किवाड़, पहल, तीन परथन (ग्रा.)। पलेथन निकलना- मन का बोझा । संज्ञा, पु. (सं० पल ) बहुत मार पड़ना या खाना, तंग या परेशान तराजू का पलड़ा। मुहा०-पल्ला झुकना होना, अनावश्यक व्यय, होने के पीछे और या भारी होना-पक्ष वलिष्ठ या बली खर्च।
होना, (विलो०)-पलता हलका होना पलोटना-स० क्रि० दे० (सं० पलोठन) (पड़ना) । संज्ञा, पु० (सं० फल ) कैंची का एक पाँव दबाना, पलटना । अ० कि० दे० ( हि० भाग । वि० (दे०)-परला, अव्वल, प्रथम । पलटाना) कष्ट से लोटना पोटना, तडफड़ना। मुहा०—(पल्ले परले ) दरजे का। " पाँय पलोटत भाय"-रामा० । | पल्ती -संज्ञा स्त्री० (सं०) छोटा गाँव, खेड़ा, पलोचना-स० क्रि० दे० (सं० प्रलोठन) पैर | पुरवा, कुटी, जाजम, सतरंजी, छिपकली। दबाना, पाँव मलना, सेवा करना।
"निपपति यदि पल्ली वाम भागे नराणाम्।" पलोसना*-स० क्रि० दे० ( हि० परसना) पल्ला -संज्ञा, पु० दे० (हि० पल्ला) दामन, धोना, मीठी बातें कर ढंग पर लाना छोर, अांचल, पट्टा, चौड़ी गोट । परसना।
पल्लो*-वि० दे० (सं० प्रलय) प्रलय, पास। पल्लव-संज्ञा, पु० (सं०) नये निकले पत्ते, | पल्लेदार-संज्ञा, पु० दे० (हि० पल्ला+ फा० कोंपल, कल्ला, हाथका कंकण या कड़ा, वल. दार) अनाज ढोने या तौलने वाला, बया । विस्तार, एक देश, (पलव) दक्षिण का एक पल्लेदारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पल्लेदार राजवंश । पल्लवास्त्र-- संज्ञा, पु. यो०(सं०) +ई-प्रत्य० ) पल्लेदार का कार्य या कामदेव ।
मज़दूरी। पल्लवना*-अ० क्रि० दे० ( सं० पल्लव+ | पल्तौ-संज्ञा, पु० दे० (सं० पल्लव) पल्लव, ना-प्रत्य०) नये पत्ते निकलना, पनपना। संज्ञा, पु०-अनाज की गोन, पल्ला । पल्लवित-वि० (सं०) जिसमें नये पत्ते हों, पवंगा-संज्ञा, पु० (दे०) एक छंद (पि०)। हरा-भरा, लंबा-चौड़ा, जिसके रोंगटे खड़े पव--संज्ञा, पु. (सं०) गोबर, वायु । हों, किशलय-वाला, पनपा हुचा । । पपई-संज्ञा, स्त्री० (दे०) पसी विशेष ।
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