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पलनाना १०१७
पलीद जाना, हृष्ट-पुष्ट होना, तैयार होना। *- रखकर कसना, चढ़ाई की तैयारी करना, बुरा संज्ञा, पु. (दे०) पालना।
भला कहना। पलनाना *-स० कि० दे० (हि. पलान | पलाना*-० कि० दे० (सं० पलायन )
ज़ीन +ना प्रत्य०) घोड़े पर ज़ीन कसाना । भागना, भाग जाना। स० कि० (दे०) भगाना पलल-संज्ञा, पु. (सं०) श्रामिष, मांस, पलायन कराना। पशुओं के खाने की खली।
पलायक-संज्ञा, पु० (५०) भगोड़ा, भागने पलवा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पल्लव ) वाला।
अंजुली, चुल्लू , तराजू का पलड़ा, डलिया। पलायन-संज्ञा, पु० (२०) भगना, भाग पलधाना-स० कि० दे० (हि. पालना का | जाना। प्रे० रूप) किसी से किसी का पालन करना । पलायमान-वि० (सं०) भागता हुथा । पलधार-संज्ञा, पु० (दे०) बढी नाव।। पलायित वि० (सं० ) भागा हुथा। पलवारा-संज्ञा, पु० (दे०) बड़ी नाव। पलाल-संज्ञा, पु० (सं०) पयाल, पुवाल, पलवारी-संज्ञा, पु० (दे०) केवट,
"पलाल-जालैः पिहितः स्वयंहि प्रकाशमल्लाह ।
मासादयतीक्षु डिग्भः'' नैषधः । पलवैया-संज्ञा, पु० दे० (हि. पालना +
पलाश - संज्ञा, पु० (सं०) पलास, टेसू , वैया प्रत्य० ) पालक, पोषक, पालन पोषण
ढाक, छिउल, पत्ता, राक्षस, कचूर, मगधदेश करने वाला।
वि० (सं०) मांसाहारी, निर्दय । पलस्तर-संज्ञा, पु० दे० (अ. प्लास्टर )
पलाशी-वि० (सं० पलाशिन ) मांसाहारी, दीवार पर मिट्टी के गारे या चूने का लेश या
पत्ते-युक्त, पत्रयुक्त । संज्ञा, पु० (सं०) राक्षस ।
पलास-संज्ञा, पु० दे० (सं० पलाश ) टेसू, लेप। मुहा०-पलस्तर ढीला होना, बिगड़ना या बिगड़ जाना-नसे ढीली
ढाक, छिउल, एक मांसाहारी पक्षी ।
"ज्यों पलास-सँग पान के"-०।। होना, बहुत परेशान होना।
पलित वि. (सं० ) बूदा, बुड्ढा, वृद्ध, पलहना*-अ० कि० दे० (सं० पल्लव)
पका हुश्रा, सफेद बाल ताप, गरमी । पत्ते निकलना, पल्लवित होना, लहलहाना।
(स्त्री० पलिता)। पलहा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पल्लव)
पली-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० पलिघ) बड़े कोमल पत्ते, कोंपल ।
बरतनों से घी आदि द्रव पदार्थ के निकालने पलांडु-संज्ञा, पु० (सं०) प्याज |
का हथियार या उपकरण, परी। मुहा०-. पला--संज्ञा, पु० दे० (सं० पल) निमिष ।
पली २ या परी २ जोड़ना-थोड़ा करके संज्ञा, पु० दे० (सं० पलट) तराजू का
संचय करना। पलड़ा, पल्ला, अंचल, किनारा, पार्श्व, पलोत-संज्ञा, पु० (दे०) भूत या प्रेत, भूतपाला हुआ, डलवा (प्रान्ती)। | योनि, प्रेत योनि । वि० मैला-कुचैला। पलाद-संज्ञा, पु. (सं०) एक राक्षस । पलीता-संज्ञा, पु० दे० (फा० फलीतः) लपेटे पलान-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पल्याण मि. हुए कपड़े की बत्ती जिसे पंसाखों में लगाते फ़ा. पालान) जीन, चारजामा । स्त्री० है, तोप या बंदूक की रंजक, जलाने वाली पलानी।
बत्ती। वि० बहुत कुछ, आग बबूला। पलानना-२० क्रि० दे० ( हि० पलान+ (स्त्री. अल्पा० पलीती)।
ना+प्रत्य० ) घोड़े पर जीन या पलान | पलीद-वि० (फा० ) अशुद्ध, अपवित्र, भा० श. को०-१३८
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