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पद्माकाष्ट
पनकपड़ा पद्मकाष्ठ-संज्ञा, पु. (सं०) पद्माख । पद्माख, पद्माक-संज्ञा, पु० दे० (सं० पद्मक) पद्मगर्भ-संज्ञा, पु. (सं०) ब्रह्मा।
एक औषधि । पद्मजन्मा-संज्ञा, पु. (सं०) ब्रह्मा, | पद्मालय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्मा, पद्म नालीकजन्मा।
का स्थान। पद्मतंतु-संज्ञा, पु. ( सं०) कमल दंडी, पद्मालया-संज्ञा, स्त्री० (सं०) लघमी जी। मृणालें ।
पद्मावती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) लघमी। "पद्मापद्मक ---संज्ञा, पु० (सं०) पदमाक (औष०), वती-चरण चारण-चक्रवर्ती 'गीत गो० ।
"लोहितचन्दन, पद्मक, धान्या"-वै० जी। चित्तौड़ की रानी, पटना, पन्ना, उज्जयिनी पद्मनाभ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विष्णु भग- (प्राचीन नगरों के नाम)। वान । 'पद्मनाभं सुरेशम्" ।
पद्मासन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) योग की पद्मनेत्र--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) विष्णु । एक बैठक, ब्रह्मा, शिव । पद्मपत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पोहकरमूल, | पद्मिनी--संज्ञा, स्त्री० (सं०) कमलिनी, छोटा कमल-दल ।
कमल, चित्तौड़ की रानी, लक्ष्मी, उत्तम पद्मपलाश-लोचन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) | स्त्री । यौ०-पद्मिनी-वल्लभ---सूर्थ, श्री कृष्ण, विष्णु ।
कमल-युक्त झील या सरोवर । पद्मपाणि-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ब्रह्मा, बुद्ध | पद्य-वि० (सं०) जिसका सम्बन्ध पैरों से हो, की एक मूर्ति, सूर्य ।।
जिसमें कविता के पद हों। संज्ञा, स्त्री० पद्म-बंध-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक प्रकार पद्यवत्ता । संज्ञा, पु. (सं०) कविता, काव्य, का चित्र काव्य ।
छन्दमयी कविता। (विलो. गद्य, गद्यपद्मयोनि-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ब्रह्मा जी। काव्य) । पद्मराग-संज्ञा, पु. (सं०) माणिक, लाल । पद्यात्मक-वि० (सं०) जो छन्दोबद्ध हो । "पद्मराग के फूल"-रामा।
पधारना-अ. क्रि० दे० (हि. पधारना) पद्मरेखा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) हाथ की श्रागमन, धाना। एक रेखा (सामु०)।
पधराना-स० क्रि० दे० (सं० प्रधारण) श्रादर पद्मलांछन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य,
से ले जाना, भली-भाँति बैठाना, स्थापित राजा, कुबेर, प्रजापति।
करना । ( प्रे० रूप ) पधरावना ।
पधरावनी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पधरना) पद्मलोचन-वि० यौ० (सं०) कमल-नेत्र ।
किसी देवता की मूर्ति की स्थापना, किसी पास्नुषा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) लक्ष्मी,
को श्रादर के साथ बैठाने का कार्य । दुर्गा, गंगा।
पन-संज्ञा, पु० दे० (सं० पण ) प्रतिज्ञा, पद्मबीज--- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कमलगट्टा ।
प्रण, संकल्प, विचार । संज्ञा, पु० दे० (सं० पद्मव्यूह-संज्ञा, पु. यो० (सं०) सेना के
पर्वन् = विशेष दशा ) जीवन के चार भागों में लड़ाई में खड़ा करने का एक ढंग ।
से प्रत्येक । "बीति गये पन ऐसे ही है"पद्मा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) लघमी, भादों शुदी | नरो । प्रत्य० (हि.) भाववाचक संज्ञा के एकादशी।
बनाने का प्रत्यय, जैसे पागल से पागलपन । पद्माकर-संज्ञा, पु० (सं०) बड़ा ताल या पनकपड़ा-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० पानी झील जहाँ कमल हों, हिन्दी का एक प्रसिद्ध +कपड़ा ) पानी से तर वह कपड़ा जो चोट कवि।
। पर बहुधा बाँधा जाता है।
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