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पथना
पदम-पदुम पथना-प्र० क्रि० (दे०) पाथना, कंडे बनाना। चरण), वस्तु, शव, देश, चौथा भाग, चौथाई, स० क्रि० (प्रे० रूप) पथाना, पथवाना। उपाधि, मोक्ष,अधिकार-स्थान, भजन, गीत, पथरकला-संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि. पत्थर दान की वस्तुयें, विभक्तियुक्त शब्द (व्या०)। या पथरी+कल ) वह बन्दूक जो चकमक पदक-- संज्ञा, पु० (सं०) किसी देवता के पदपत्थर-द्वारा भाग पैदा करके छोडीजाती थी। चिन्ह, तमग़ा (फा०)। पथरचटा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० पत्थर+ पदक्रम-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पग, डग ।
चाटना) पाषाण या पाखानभेद नामी दवा। पदग-- संज्ञा, पु. (सं०) पैदल, पियादा, पैदल पथराना-पथरियाना-अ० क्रि० दे० ( हि.. चलने वाला। पत्थर + आना-प्रत्य०) पत्थर के समान पदचतुरई-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विषम कड़ा होना, नीरस, कठोर या कड़ाहो जाना, वृत्तों का एक भेद (पिं०)। स्तब्ध हो जाना, निर्जीव हो जाना। पदचर---संज्ञा, पु. (सं०) पैदल, पियादा, पथरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पत्थर-+-ई- प्यादा, पदाति। प्रत्य० ) कटोरानुमा पत्थर का बरतन, मूत्रा- पदच्छेद - संज्ञा, पु. (सं०) व्याकरणानुसार शय का एक रोग, चकमक पत्थर, सिल्ली, किसी वाक्य के पदों को अलग अलग करना। कुरंड पत्थर जिससे सान बनती है, पत्थर पदच्युत-वि• यौ० (सं०) पद या अधिकार की ।डी।
से भ्रष्ट या हटाया हुआ। पथरीला-वि. पु. दे० (हि. पत्थर+ पदज-संज्ञा, पु० (सं०) पाँव की अँगुलियाँ। ईला-प्रत्य० ) पत्थर-युक्त, पत्थर-मिलित । पदतल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पैर का तलवा। स्त्री० पथरीली।
पदत्राण-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) जूता, जूती। पथरौटी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पत्थर- पददलित-वि० यौ० (सं०) पाँवों से रौंदा
मौटी-प्रत्य०) पत्थर की 1 डी, पथरी। हुधा, अपमानित, दबा कर निर्बल किया गया। पथिक-संज्ञा, पु० ( सं० ) बटोही, राही, पदना - संज्ञा, पु० दे० ( सं० पर्दन ) अधिक यात्री, मार्ग चलने वाला।
पादने वाला, डरपोंक। अ. क्रि० (दे०) पथिबाहक-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) कहार, श्रमित होना, तंग होना । मज़दूर।
पदनी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पदना ) दुरापथी-संज्ञा, पु० (सं० पथिन्) बटोही, यात्री। चारिणी, व्यभिचारिणी। पथु*--संज्ञा, पु० दे० (सं० पथ ) रास्ता, | पदन्यास--संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) चलना, राह, मार्ग।
चलन, पदों का व्यवस्थित करना, पदपथैया-वि० दे० (हि. पाथना) पाथने वाला, विन्यास ( काव्य । पथवैया ।
पदयटी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक प्रकार कानाच। पथ्य---संज्ञा, पु. ( सं० ) रोगी के अनुकूल पदपत्र-वि० यौ० (सं०) पुहकरमूल भोजन, उपयुक्त आहार । “पथ्यमिच्छतः" (औष०), कमल का पत्र, अधिकार-पत्र । - रघु०। मुहा०-पथ्य से रहना- पदयीठ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) खड़ाऊँ, संयम से रहना। हित, कल्यान, मंगल, सत्य । __ जूता, पाद-पीठ--पैर रखने की चौकी। पथ्या --संज्ञा, स्त्री०(सं०) हर, हरड़, हड़, एक पदम-पदुम -- संज्ञा, पु० दे० (सं० पद्य० ) छंद (पि०)।
कमल । “बन्दी गुरु-पद-पदुम-परागा' पद-संज्ञा, पु० (सं०) रोज़गार, उद्यम, रक्षा, -रामा० । संज्ञा, पु० दे० ( पद्मकाष्ठ ) बचाव, दर्जा, पाँव, चरण देह, छंद का एक पद्माख, पद्माक |
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