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नीगने
१०३१
नीति-विद्या नीगने- वि० (दे०) असंख्य, अगणित । सिर झुकाना, संमुख न देखना । नीचाई"मृगराज ज्यों बनराज में गजराज मारत संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नीचता) नीचता, छुटाई, नीगने"-राम।
नीचपना। नीच-वि० (सं०) किपी बात में कम, छोटा, नीचाशय-वि० यौ०(सं०) तुच्छ,पोछा, क्षुद्र। तुच्छ, निकृष्ट, हेठा, क्षुद्र, अधम, बुरा। नोच-क्रि० वि० दे० (हि. नीचा ) नीचे (विलो. उच, ऊच)। "कछु कहि नीच न की ओर, एक पेड़ तले। वि० (दे०) नीच । छेड़िये"- वृ० । " ऊँच निवास नीच नीचे-क्रि० वि० दे० ( हि० नीचा ) नीचे करतूती''-रामा० । यौ०-नींच-ऊंच, की भोर, तले। ॐना-नीचा-बुरा-भला, गुण-अवगुण, नीजन*-संज्ञा, पु० दे० (सं० निर्जन) निर्जन बुराई-भलाई, हानि-लाभ, सुख-दुख, ऊँचे- __ स्थान, जहाँ कोई न हो। नीचे । मुहा०-ऊँचे नीचे पैर पड़ना । नीजू-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० निज) पानी (रखना)-- बुरा-भला करना।
भरने की डोर, लेजुरी (ग्रा.)। नीचगा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) निमग्ना, नदी, नीझरः - संज्ञा, पु० दे० (सं० निर्भर) सोता, निग्नगामिनी।
| झरना, निर्भर । नीचगामी-वि० ( सं० नीच गामिन् ) नोचे नीझरना-निझरना-अ० क्रि० (दे०) समाप्त
की ओर जाने वाला, तुच्छ, धोछा । स्त्री० होना, चुक जाना । नीच-गामिनी।
नीठ-कि० वि० दे० (सं० अनिष्टि) अरुचि, नीचट- वि० (दे०), निचाट (ग्रा.) भनिच्छा ज्यों त्यों करके, कठिनता से,
एकांत, निर्जन, दृढ़, पक्का, पूरा, बिलकुल। किसी न किसी भाँति या प्रकार । "वहि वहि नीचता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) अधमता, क्षुद्रता, हाथ चक्र पोर उहि जात नीठि''-- रखा। निचाई (दे०) कमीनापन | "नीच न छाँड़े । नीठो:- वि० दे० ( सं० अनिष्ट ) अप्रिय, नीचता"-वृ। 'नीच निचाई नहिं अनिष्ट । तजै"-वृ ।
नीड़-संज्ञा, पु० (सं०) चिड़ियों का घोंसला, नीवा-नीचो-वि० दे० (सं० नीच) जो गह- 'निज नीड़ द्रुम पीड़िनः खगान्'-नैष । राई पर हो, गहरा, निम्न । स्त्री० नीची। जो | नीत-वि० (सं०) पहुँचाया या लाया हुश्रा, ऊँचा न हो, धीमा, मध्यम, बुरा, अोछा, प्राप्त, स्थापित । क्षुद्र । "ज्यों ज्यों नीचा कै चलै"- वि० । नीति- संज्ञा, स्त्री. (सं०) सदाचार, श्रेष्ठ यौ०-नीचा-ऊँचा-बुरा-भला, बुराई । व्यवहार, अच्छी चाल, कानून, राज-विद्या, भलाई, गुण अवगुण, हानि लाभ, संपद- युक्ति, उपाय, हिकमत, तदवीर । "नीतिविपद, दुख सुख । मुहा०-गीचा खाना । नयनागर गुनागर गुविंद सुनौ"-मना ।
--अपमानित होना,हारना, झपना, लज्जित | नीतिज्ञ-- वि० (सं०) नीति का ज्ञानी या होना। नीचा दिखाना-- अपमानित करना, जानकार, नीत में निपुण या कुशल, चतुर । हराना, शेखी झाड़ना, लज्जित करना संज्ञा, स्त्री नीतिज्ञता।। नीचा देखना-- अपमानित होना, तुच्छ । नीतिमान्-वि० (सं० नीतिमत् ) नीतिबनना। आँख (नाक) नीची होना वान् , नीति-परायण, सदाचारी। स्त्री. (करना)--लज्जित होना (करना) । सिर नीतिमती। नीचा होना (करना)लज्जित होना। नीति विद्या-- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) नीति नीची दृष्टि (निगाह ) करना-अपना ! शास्त्र ।
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