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निहाई
१०३०
नाक-नाक
निहाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० निघात, मि. निहोरे"-रामा० । "राम काज अस मोर फ़ा० निहाली ) सुनारों और लोहारों का एक निहोरा"-रामा० । औज़ार जिस पर रख कर किसी धातु को निन्हव--संज्ञा, पु० (सं०) अपलाप, अपन्हव, हथौड़े से पीटते हैं। " चोरी करैं निहाई गोपन, छिपाना, अविश्वास, न मानना । की त्यौं, करें सुई कर दान"--स्फ०। निन्हाद-संज्ञा, पु० (सं०) शब्द, ध्वनि, नाद, निहाउiw-संज्ञा, पु० दे० (हि. निहाई ) निनाद । निहाई।
नींद - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० निद्रा ) स्वप्न, निहानी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) स्त्री का रजो- निद्रा, निदी, निदिया (ग्रा०) सोने की दर्शन ।
दशा या अवस्था । "नींद भूक जमुहाई, ये निहायत-वि० (अ.) बहुत, अत्यंत । तीनों दरिद्र के भाई"-धाध० । उँघाई, निहार, नीहार-संज्ञा, पु. ( सं० ) कुहरा, झपकी। मुहा०—नींद उचटना-नींद पाला, श्रोस, बरफ, हिम।
न माना, नींद न लगना । नींद खुलना निहारना-स० कि० दे० (सं० निभीलन या टूटना -- जाग पड़ना, नींद चली जाना । देखना) देखना, ताकना, ध्यान-पूर्वक नींद पड़ना-नींद भाना या लगना । देखना । "अस कहि भृगुपति अनत निहारे' नींद भर सोना-मन माना सोना, जी -रामा०।
भर कर सोना। नींद लेना- सोना । निहाल-वि० ( फा०) प्रसन्न, संतुष्ट, पूर्ण | नींद संचरना-नींद आना। नींद
मनोरथ या पूर्ण काम । संज्ञा, सो० (दे०) हराम होना-सोने का त्याग होना, छूट निहाली।
जाना । नींद हिराना-नींद न आना। निहाली- संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) तोशक, गहा, नींदड़ी-नीदरी*-संज्ञा, स्त्री० द० (हि. निहाई । “तिस पर यह शरारत निहाली नींद ) निद्रा, नींद, स्वप्न, सोने की दशा । तले उसकी" --सौदा० । प्रसन्नता संतोष। निंदरिया (ग्रा०) "मेरे लाल को श्राउ निहित--वि० (सं०) स्थापित, रखा हुआ। निदरिया काहे न पानि सुवावै"- सूर० । निहुरना-अ० क्रि० दे० (हि० नि + होडन) नींबी- संज्ञा, स्त्री० (सं.) कटि पर सामने नवना, झुकना, लचकना।
साड़ी का वन्धन (स्त्रियों) । यौ० नींबीनिहुराना-स. क्रि० दे० (हि. निहुरना बन्धन । संज्ञा, स्त्री० (दे०) नीम ।
का प्रे० रूप ) नवाना, लचाना, झुकाना। नव-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बुनियाद । निहोरना---स. क्रि० दे० (सं० मनोहार ) नीक-जीका-नीको (ब०) --वि• द० (सं० विनय या प्रार्थना करना, मनाना, कृतज्ञ निक्त = स्वच्छ) भला, अच्छा, सुन्दर, होना, मनौती करना ! " सखा निहोरहुँ चोखा । स्त्री० नीकी । “सबहिं सुहाय मोहिं तोहि "-रामा० ।
सुठि नीका".-- रामा० । संज्ञा, स्त्री० (दे०) निहोरा--संज्ञा, पु० दे० (सं० मनोहार ) | निकाई । संज्ञा, पु० (दे०) भलाई, अच्छाई, बिनती, प्रार्थना, उपकार मानना, कृतज्ञता। सुन्दरता, उत्तमता अच्छापन। 'फीकी पै भरोसा, आसरा । क्रि० वि० दे० निहोरे- नीकी लगै, कहिये समय विचार"। बदौलत, द्वारा, कारण या हेतु से, वास्ते, । नीकि-त्रीके (७०) क्रि० वि० द० (हि. नीक) निमित्त, के लिये । स्त्री० निहोरी। 'कोई भली भाँति, अच्छी तरह। 'नीके निरखि सखी हरि जी करति निहोरा ललिता आदि नयन भर शोभा। "यद्यपि यह समुझत हैं। सब ठाढ़ी"-- सूर० । "धरहुँ देह नहिं पान नीके"-रामा० ।
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