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नियन्ता
मिकी निमकी-संज्ञा, स्त्रो० दे० ( फा० नमक ) निमिख, निमिष-संज्ञा, पु० दे० (सं० निमेष)
प्रचार, नीबू, गेहूँ के मैदे की नमकीन टिकिया। निमेष पलकों का खुलना और बन्द होना, निमकौड़ी-निमकौरी-संज्ञा, पु० दे० (हि. पलक मारने का समय । “सोउ मुनि देउँ निवारी) नीम का फल. निबौरी।
निमिप इक माहीं --रामा । निमग्न - वि० (सं०) मग्न, तन्मय, डूबा निमित्त--संज्ञा, पु. (सं०) कारण, हेतु, हुा । स्त्री० निमग्ना।
उद्देश्य, साधन । निमजन-संज्ञा, पु० (सं०) डुबकी लगा कर निमित्तक - वि० (सं०) किसी हेतु या उद्देश्य किया जाने वाला स्नान, अवगाहना। वि० से होने वाला, उत्पन्न, जनित । निमज्जनीय, निमजित ।
निमित्तकारण- संज्ञा, पु० यौ० (२०) जिस निमजना*-अ. क्रि० (सं० निमज्जन ) के द्वारा कोई पदार्थ बनाया जावे, एक
दुबकी या गोता लगाना, अवगाहन या कारण (न्या०)। स्नान करना, नहाना।
निमिराज* --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा निमजित-वि० (सं०) मग्न, डूबा हुआ.
डूबा हुआ. जनक । स्नात, नहाया हुआ।
निमिष-संज्ञा, पु० दे० (सं० निमेष) निमेष । निमटना-अ०कि. द. (हि. निबटना)
. निमीलन-संज्ञा, पु० (सं०) आँख मीचना निबटना, निपटना।
__ या मूंदना, पलकें लगाना। निमता* -- वि० दे० ( हि नि+माता) जो उन्मत्त न हो, बिना माता का।
निमीलित-वि० (सं०) पलकों से मुंदे या निमन--वि० द० (हि. निमनाना )सुन्दर,
बन्द, बन्द पलकें।
, निमूद --- वि० दे० (हि० मुंदना ) बन्द, मुँदा मनोरम, दर्शनीय, दृढ़, पोढ़ा, कड़ा, ठोस । निमनाई-- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० निमनाना) ।
। हुया, निमीलित। अच्छापन, सुन्दरता, दृढ़ता, मनोहरता।
निमूना- संज्ञा, पु० (दे०) (फा० नमूना )
निमोना। निमनाना-स० कि. (दे०) सुन्दर या
निमेख- संज्ञा, पु० दे० (सं० निमेष ) मनोरम बनाना, सुधारना, पोढ़ा या दृढ़
निमेष, पल । “लव निमेख में भुवन निकाया" करना।
-रामा० । निमय-संज्ञा, पु० (सं० नि + मय) विनिमय,
निमेट-वि० दे० (हि. नि+ मिटाना ) न परिवर्तन, बदला।
मिटने वाला। निमात्ता-वि० दे० (सं० निमय) सावधान,
| निमेष-संज्ञा, पु० (सं०) पलकों का मुंदना सचेत, अप्रमत्त ।
और खुलना, पल, क्षण, निमिष । निमान*-संज्ञा, पु० दे० (सं० निम्न) गड्ढा, निमोना-संज्ञा, पु० दे० (सं० नवाना) नीचा स्थान, ताल, ढाल ।
चने या मटर के हरे दानों से बना सालन । निमन्ना-वि० दे० (सं० निम्न) नीचा, ढलवाँ, निम्न-वि० (सं०) नीचे, तले, नीचा । यौ० नम्र, विनीत, कोमल, दब्बू ।
निम्नांकित--नीचे लिखा। निमि-संज्ञा, पु. (सं०) इच्वाकु का एक पुत्र ; निनगा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नदी। जिससे निमि वंश चला, निमेप, पलकों का नियन्ता-संज्ञा, पु० (सं० नियंत ) नियम या बन्द होना, खुलना । "मनहु सकुचि निमि : व्यवस्था बाँधने वाला, नियम पर चलाने तज्यो दिगंचल"-रामा०।
वाला, शासक । स्त्री० नियंत्री।
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