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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नियन्ता मिकी निमकी-संज्ञा, स्त्रो० दे० ( फा० नमक ) निमिख, निमिष-संज्ञा, पु० दे० (सं० निमेष) प्रचार, नीबू, गेहूँ के मैदे की नमकीन टिकिया। निमेष पलकों का खुलना और बन्द होना, निमकौड़ी-निमकौरी-संज्ञा, पु० दे० (हि. पलक मारने का समय । “सोउ मुनि देउँ निवारी) नीम का फल. निबौरी। निमिप इक माहीं --रामा । निमग्न - वि० (सं०) मग्न, तन्मय, डूबा निमित्त--संज्ञा, पु. (सं०) कारण, हेतु, हुा । स्त्री० निमग्ना। उद्देश्य, साधन । निमजन-संज्ञा, पु० (सं०) डुबकी लगा कर निमित्तक - वि० (सं०) किसी हेतु या उद्देश्य किया जाने वाला स्नान, अवगाहना। वि० से होने वाला, उत्पन्न, जनित । निमज्जनीय, निमजित । निमित्तकारण- संज्ञा, पु० यौ० (२०) जिस निमजना*-अ. क्रि० (सं० निमज्जन ) के द्वारा कोई पदार्थ बनाया जावे, एक दुबकी या गोता लगाना, अवगाहन या कारण (न्या०)। स्नान करना, नहाना। निमिराज* --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा निमजित-वि० (सं०) मग्न, डूबा हुआ. डूबा हुआ. जनक । स्नात, नहाया हुआ। निमिष-संज्ञा, पु० दे० (सं० निमेष) निमेष । निमटना-अ०कि. द. (हि. निबटना) . निमीलन-संज्ञा, पु० (सं०) आँख मीचना निबटना, निपटना। __ या मूंदना, पलकें लगाना। निमता* -- वि० दे० ( हि नि+माता) जो उन्मत्त न हो, बिना माता का। निमीलित-वि० (सं०) पलकों से मुंदे या निमन--वि० द० (हि. निमनाना )सुन्दर, बन्द, बन्द पलकें। , निमूद --- वि० दे० (हि० मुंदना ) बन्द, मुँदा मनोरम, दर्शनीय, दृढ़, पोढ़ा, कड़ा, ठोस । निमनाई-- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० निमनाना) । । हुया, निमीलित। अच्छापन, सुन्दरता, दृढ़ता, मनोहरता। निमूना- संज्ञा, पु० (दे०) (फा० नमूना ) निमोना। निमनाना-स० कि. (दे०) सुन्दर या निमेख- संज्ञा, पु० दे० (सं० निमेष ) मनोरम बनाना, सुधारना, पोढ़ा या दृढ़ निमेष, पल । “लव निमेख में भुवन निकाया" करना। -रामा० । निमय-संज्ञा, पु० (सं० नि + मय) विनिमय, निमेट-वि० दे० (हि. नि+ मिटाना ) न परिवर्तन, बदला। मिटने वाला। निमात्ता-वि० दे० (सं० निमय) सावधान, | निमेष-संज्ञा, पु० (सं०) पलकों का मुंदना सचेत, अप्रमत्त । और खुलना, पल, क्षण, निमिष । निमान*-संज्ञा, पु० दे० (सं० निम्न) गड्ढा, निमोना-संज्ञा, पु० दे० (सं० नवाना) नीचा स्थान, ताल, ढाल । चने या मटर के हरे दानों से बना सालन । निमन्ना-वि० दे० (सं० निम्न) नीचा, ढलवाँ, निम्न-वि० (सं०) नीचे, तले, नीचा । यौ० नम्र, विनीत, कोमल, दब्बू । निम्नांकित--नीचे लिखा। निमि-संज्ञा, पु. (सं०) इच्वाकु का एक पुत्र ; निनगा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नदी। जिससे निमि वंश चला, निमेप, पलकों का नियन्ता-संज्ञा, पु० (सं० नियंत ) नियम या बन्द होना, खुलना । "मनहु सकुचि निमि : व्यवस्था बाँधने वाला, नियम पर चलाने तज्यो दिगंचल"-रामा०। वाला, शासक । स्त्री० नियंत्री। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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