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निगोड़ा
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१०.४
निचोल आक्रांत, प्राक्रमित, दुखित, पीड़ित । निघ्न- वि० दे० (सं.) वशीभूत, प्राधीन । " अभ्यास-निगृहीतेन"--रघु०। शिष्ट, प्रायत्त । " तथापि नि नृप ताव निगोड़ा--वि० दे० (हि. निगुरा ) असहाय, कीनैः"-किरा० ।
अनाथ, प्रभागा, दुष्ट, दुराचारी, दुष्कर्मी, निचय-संज्ञा, पु० (सं०) समूह, संचय, नीच । स्त्री. निगोडी। " चाप निगोड़ो निश्चय । अबै जरि जाव. चढ़ा तो कहा न चदौ तो निचल*-वि० दे० ( सं० निश्चल ) अचल,
स्थिर, अटल। निग्रह-संज्ञा, पु० (सं०) रोंक, दमन, अव- | निचला-वि० दे० (हि. नीचे--ला-प्रत्य० )
रोध, बंधन, फटकार, सीमा, दंड । नीचे वाला, नीचे का। स्त्री० निचली। निग्रहना*-स० क्रि० दे० (सं० निग्रह ) । वि० दे० (सं० निश्चल) शांत, अटल, स्थिर, रोकना, पकड़ना, फटकारना, दंड देना।
अचल । निग्रहस्थान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जब वादी निचाई---संज्ञा, स्त्री० ( हि. नीच ) नीचापन,
उलटी-पुलटी या बेसमझी की बातें कहने नीचता, कमीनापन, दुष्टता। " नीच लगे तो विवाद रोक दिया जाता है क्योंकि निचाई नहि तजै"-० । यह पराजय है, इसी को निग्रह-स्थान निचान -- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. नीचा ) कहते हैं, ये २२ हैं ( न्या०)।
नीचापन, ढाल, दुलान । निग्रही-वि. ( सं० निग्रहिन् ) रोकने, दबाने निचिंत-निचीत-वि० दे० (सं० निश्चित ) या दंड देने वाला।
सुचित बे खटके, निश्चित । “जाको घर है निघंटु-संज्ञा, पु० (सं०) वेद के शब्दों का गैल मों, सो क्यों सोव निचीत"-- कबी०। कोश. शब्द-संग्रह मात्र।
निचुड़ना, निचुरना--अ० क्रि० दे० (सं० निघटत-अ० क्रि० (दे०) कम या न्यून होते
नि+व्यवन ) चुना, टपकना, गरना, दबाव ही. घटते ही।
डालने पर रस निकल जाना। निघटना*-अ० क्रि० दे० (हि० घटना ) निचै--संज्ञा, पु० दे० (सं० निचय ) समूह, घटना, चुकना, समाप्त हो या निबट जाना।
राशि। 'घद गौ तेल निगट गई बाती'- कबी० ।
निचोड़-निचोर-- संज्ञा, पु. दे. (हि. निघता-क्रि० वि० दे० (हि. निघटना) घटा, निचोडना) सारांश, सार, रस, सत. खुलासा,
कम हुा । स्त्री० निघटी। निघटाना-स० कि० दे० (हि. निघटना) घट
निचोड़ना--स० कि० दे० ( हि० निचुड़ना) वाना, कम कराना । प्रे० रूप निघटावना,
किसी गीली या रस या पानी-भरी वस्तु को निघटवाना। निघरघट--वि० दे० यौ० ( दि० नि=नहीं दवा या ऐंठ कर रस या पानी गिराना, किसी का
पदार्थ का मूल तत्व या सारभाग निकाल ठिकाना कहीं भी न हो, निर्लज्ज । मुहा०
लेना. सब हर लेना, निचोरना (दे०)। निघरघट देना-निर्लज्जता से झूठी सफाई निचोना*-स० कि० दे० (हि. निचोड़ना) देना।
निचोड़ना, "कहा निचोवै नग्न जन"-०॥ निघरघटा- वि० दे० (हि. निघरघट ) निवारना*-- सं० कि० दे० (हि. निचोड़ना)
जिसके घर-द्वार न हो । स्त्री निघरवटी। निचोड़ना। निघरा-वि० दे० (हि.) जिसके घर-बार निचोल-संज्ञा, पु० (दे०) औरतों की चादर
या प्रोदनी।
निष्कर्ष ।
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