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प्रकीर्णक देव
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(४) पंचमुख हनुमान : इन हनुमान के पांचों मुख विविध प्रकार के हैं, जैसे वानर, नरसिंह, गरुड़, वराह और अश्व । हरेक मुख के तीन-तीन दिव्य चक्षु होते हैं। उनकी दस भुजा में कमल, तलवार, ढाल, पुस्तक, अमृत कुंभ, अंकुश, हले, खट्वांग और सर्प होते
(५) एकावशमुख हनुमन्त (अगस्त्य संहिता): ये ग्यारह मुख के हनुमान हैं । पूर्व का मुख वानर का, अग्नि कोण का क्षत्रिय, दक्षिण का नरसिंह, नैऋत्य का क्षेत्रपाल गण, पश्चिम का गरुड़मुख, वायव्य में भैरवमुख, उत्तर में कुबेरमुख, ईशान में रुद्रमुख, ऊपर का अश्वमुख तथा नीचे शेषमुख होता है।
राम के ये दूत महाबलवान होते हुए भी सौम्य रूपवाले हैं।
दास-हनुमन्त
पंचमुख रुद्र हनुमन्त
विश्वकर्मा (१) विश्वकर्मा :
वास्तुशास्त्र के अधिष्ठाता देव ब्रह्मा का ही स्वरूप है। विश्वकर्मा चार भुजा के होते हैं। उनके हाथों में सूत्र-माला, पुस्तक, गज (कंबा) और कमंडल होता है। इनके एक मुख, तीन नेत्र और हंस का वाहन होता है।
अग्निपुराण में दो भुजा के लोकपाल-विश्वकर्मा वर्णित किये गये हैं । वे माला और पुस्तक धारण किये होते हैं।
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