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लेखन-सामग्री विभिन्न भागों में मिले थे। लेकिन हाल ही में उत्तरी-पश्चिमी सीमाप्रांत में होई ने ईंटों पर बौद्ध-सूत्र लिखे पाये हैं। आर्द्र कच्ची ईंटों पर अक्षर खोद दिये जाते थे और बाद में उन्हें आंच में पका लेते थे। 31
ऐं. कागज इस पुस्तक की काल-सीमा में भारत में या तो कागज का पता ही न था या इसका इस्तेमाल बहुत कम होता था। भारत में कागज मुसलमान लाये । राजेन्द्र लाल मित्र का विश्वास है कि धारा के भोज के 'एक उलेल्ख' से सिद्ध होता है कि मालवा में 11वीं शती में कागज का इस्तेमाल होता था ।332 गुजरात की कागज पर लिखी सबसे प्राचीन हस्तलिखित पुस्तक 1223-24 ई. की है । 538
पीटरसन ने अणहिलवाड़ पाटन में विक्रम संवत् 1384-और 1394 (132728 और 1337-38 ई. की) कागज पर लिखी हस्तलिखित पुस्तकें खोजी हैं । 534 काशगर से प्राप्त हस्तलिखित ग्रंथ जिनके विचित्र कागज पर गच-पत्थर (जिप्सम) की तह लगी है शायद ही भारत की हो । हार्नले का विश्वास है कि यह मध्य एशिया में ही लिखी गयी 1535
ओ. स्याही स्याही के लिए सबसे पुराना भारतीय शब्द मषि या मषी है जिसे मसि या मसी भी लिखते हैं । यह शब्द गृह्यसूत्र में आया है । यह मष् (हिंसायाम्) धातु से निकला है और इसका धात्वर्थ 'चूर्ण' है336 । मसि से अनेक प्रकार के पीसे (लकड़ी के) कोयले का बोध होता है जिसमें पानी, गोंद, शक्कर आदि मिलाकर इसे तैयार करते थे ।537 बर्नेल का यह कथन भ्रमपूर्ण है कि संस्कृत साहित्य में मसि
531. ए. सो. बं. का 1896 का कार्यवृत्त, पृ. 99. 532. गाफ के पेपर्स, 16. 533. देखि. मेरा कैटलाग आफ मनु स्क्रिप्ट्स फ्राम गुजरात आदि, I, 238 सं. 147.
534. पाँचवों रिपोर्ट, 123, 125.
535. वी. त्सा. कुं. मो. VI, 261, ज.ए.सो.बं. LXVI, 215, 218. _536. ब्यो., रो. व्यो. और ब्यो. व्यो. मसि के अंतर्गत ।
537. रोशनाई बनाने की भारतीय विधि का उल्लेख राजेन्द्रलाल मित्र ने गाफ के पेपर्स, 18 में किया है, कश्मीर रिपोर्ट 30.
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