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वट्टछतु-लिपि ___ सातवीं शती की तमिल लिपि के इस विश्लेषण से यही संभावना प्रकट होती है कि यह चौथी या पांचवीं शती की किसी उत्तरी लिपि से निकली है, जिस पर कालांतर में उन्हीं जिलों में संस्कृत के लिए प्रयुक्त ग्रंथ लिपि का भी काफी प्रभाव पड़ा था। ___ अगली सबसे पुरानी तमिल लिपि का नमूना कशाकूडि पट्टों में मिलता है । 356 ये पट्ट सन् 740 ई. के आसपास के हैं (फल. VIII में इनके अक्षरों का इस्तेमाल नहीं है)। इन पट्टों में उत्तरकालीन तमिल म को छोड़कर और कोई मौलिक परिवर्तन नहीं है। __किन्तु 10वीं, 11वीं और बाद की शताब्दियों के अभिलेखों में 357 (फल. VIII, स्त. XVII-Xx) एक नये विभेद के दर्शन होते हैं, जिसका ग्रंथलिपि के प्रभाव से काफी रूप परिवर्तन हो चुका है।
___ट, प, और व के विलक्षण रूप ग्रंथ के रूप हैं। अलावा, 11वीं शती में क, ङ, च, त, और न, के सिरों के बाईं ओर नीचे लटकती नन्हीं लकीरें निकल आती हैं । 15वीं शती में (फल. VIII, स्त. XIX, XX) इन लटकनों का पूर्ण विकास हो जाता है और क में बाईं ओर एक फंदा दीखता है। ध्यान देने की बात यह है कि उत्तर कालीन तमिल अभिलेखों में विराम (पुल्लि) पहले तो दुर्लभ हो जाता है, फिर एकदम गायब 1358 आधुनिक युग में तमिल में विराम फिर आ गया है । इसके लिए अब एक बिंदी लगती है।
___आ : वट्टेळुत्तु वट्टलुत्तु अभिलेखों में भास्कर रविवर्मन के यहूदियों (फल. VIII, स्त. XXI, XXII) और कोचीन के सीरियनों350 के नाम जारी किये गये
356. सा. ई. ई. II, फल. 14-15।
357. मिला. 10 वीं और 11वीं शती की प्रतिकृतियों से जो. ए. इं., III, 284; सा. इं. इ. II, फल. 2-4 पर हैं, 15 वी शती की प्रतिकृति से जो सा. ई. ई. II, फल. 5 पर हैं; सा. ई. ई. II, फल. 8 अनिश्चित : इं. ऐ. VI, 142; वर्णमाला ब. ए. सा. ई. ई. फल. 18, 19. ___358. मिला. वेंकैय्य, ए. ई. III, पृ. 278 तथा आगे।
359. मद्रास जन. लिट. सोसा. XIII, 2, 1; इं. ऐ. III, 333; ब., ए. सा. इं. पै. फल. 32 a; ए. ई. III, 72; वर्णमाला, इं. ऐ.. I, 229; ब., ए. सा. इं. पै. फल. 17.
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