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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पश्चिमी लिपि १३१ के कारण कोई फर्क नहीं पड़ता, पर विकास की दृष्टि से इसके तीन चरण दीखते हैं। (1) पांचवीं शती की लिपि (फल. VII, स्त. I-III) ; (2) छठीसातवीं शती की लिपि (फल. VII, स्त. IV-VI, VIII) और (3) आठवीं (स्त. IX) और नवीं शती (फल. VIII; स्त. I) की लिपि। 9वीं शती वाला रूप अधिक घसीट है। निम्नलिखित अक्षरों पर अलग-अलग विचार जरूरी हैं : 1. इ (फल. VII, 3, IV और आगे; VIII, 3, I) अधिकांश दक्षिणी लिपियों की भाँति बीच में खांचे वाली एक गोलाईदार रेखा और उसके नीचे दो बिंदियों से बनता है। यह फल. IV, 3, IX का ही एक रूपान्तर प्रतीत होता है। 2. ई (फल. VII, 3, I; VIII, 4, I) बाबर की हस्तलिखित प्रति (फल. VI, 4, I) की भाँति दोनों बिंदियों को रेखा में परिणत कर देने से बना है। इसमें बीच में एक अतिरिक्त दुम जुट गई है जो दक्षिणी लिपियों की विशेषता है । ___3. ए (फल. VII, 6, I) प्रायः एक त्रिभुज के आकार का होता है जिसका शीर्षबिंदु ऊपर रहता है और बाईं भुजा अधिक चौड़ी होती है (मिला. ऐ फल. VII, 6, VII) 6ठी शती के अंत में विशेषकर गुर्जर अभिलेखों में, ए का ऊपरी भाग प्रायः खुला रहता है (फल. VII, 6, VI) और अंत. तोगत्वा यह उत्तरी ल से मिलने लगता है (फल. VIII, 8, I)। 4. ड--इस का सबसे पुराना रूप (फल. VII, 19, II) अधिकांश दक्षिणी लिपियों की भाँति द से भिन्न न था। 6ठी शती से इसमें एक दुम निकल आती है (फल. VII, 19. IV-IX) अथवा 8वीं-9वीं शती के कतिपय अभिलेखों में इसके आखीर में एक फंदा बन जाता है । 5. थ-इसकी आधार रेखा पर अर्गला के स्थान पर (फल. VII, 23, I-II) एक छल्ला (फल. VII, 23, III, IV,VI) बन जाता है। यह पुरानी बिंदी से निकला है या 6ठी शती के अंतिम भाग से आधार की दक्षिणी गांठ से (फल. VII, 23, VII-IX, फल. VIII, 26, I) 302 | 6-ल चिह्न का मुख्य अंश संकुचित हो गया है और इसमें एक बड़ी-सी दुम निकल आयी है (फल. VII, 34, VI, VIII) यह दुम ही सातवीं शती से 302. इसके संक्रमणकालीन रूप चालुक्य अभिलेखों में मिलते हैं । 131 For Private and Personal Use Only
SR No.020122
Book TitleBharatiya Puralipi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGeorge Buhler, Mangalnath Sinh
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1966
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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