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भारतीय पुरालिपि-शास्त्र लिपियाँ आंधकालीन अक्षरों से निकली हैं। सन् 350 के आसपास से विध्य के दक्षिण वाले इलाकों में इनका सामान्य प्रयोग होता था। द्रविड़ जिलों की आधुनिक लिपियों के रूप में इनमें से अधिकांश आज भी जीवित हैं। (पूर्व पृष्ठ से)
161 के फलक से, और क्ल इं. ऐ. VI, 72 के फलक से, ल इं. ऐ.
____VIII, 44 के फलक से । स्तं. XV : इं. ए. X, 104, फ्लीट सं. 9+ के फलक से; ई (3, XV,
b), ङ्गे, शि और ळि फ्लीट सं. 99, 100 से जिसका फलक इं. ऐ. X,
164 पर है; ल्ल फ्लीट सं. 95 से जिसका फलक इं. ऐ. X, 104 पर है। स्तं. XVI : इं. ऐ. VIII, पृ. 24 तथा आगे के फलकों से। स्तं. XVII : इं. ऐ., XIII, 137 के फलक से । स्तं. XVIII : इं. ऐ. VIII, 320 के फलक से। स्तं. XIX: इं. ऐ. XIII, I23 के फलक से । स्तं. XX: इं. ऐ. V, पृ. 50 तथा आगे के फलकों से । स्तं. XXI: इं. ऐ. V, पृष्ठ 154 तथा आगे के फलकों से । स्तं. XXII: हुल्श; सा. इ. ई. II, फल. 10 से । स्तं. XXIII: वही, फल. 9 से। स्तं. XXIV: वही, फल. 11 से ।
फलक VIII.
प्रतिकृतियों से अक्षर काटकर स्तं. I: इं. ऐ. XII, पृ. 158 तथा आगे के फलक से : स्तं. II: इं. ऐ. XI, 126, फ्लीट सं. 123 के फलक से । स्तं. III: इं. ऐ. XII, 14 के फलक से। स्तं. IV: इं ऐ. XIII, पृ. 186 तथा आगे के फलकों से । स्तं. V: इं ऐ. VII, 16 के फलक से । स्तं. VI: इं. ऐ. XIV, पृ. 50 तथा आगे के फलकों से । स्तं. VII: इं. ऐ. VI, 138 के फलक से; अ, उ, चा और ट इं ऐ.
IX, 75 के फलक से । स्तं. VIII: इं. ऐ. XI, पृ. 12 तथा आगे के फलकों से । स्तं. IX: ए. ई. III, 62 के फलक से: स्तं. X: इं. ऐ. XIII, 275 के फलक से।
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