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भारतीय पुरालिपि-शास्त्र जो 350 ई. के आसपास से काठियावाड़ और उत्तरी गुजरात को छोड़कर नर्मदा के उत्तर के विशाल भूखंड में छा जाता है । कालांतर में इनका प्रसार बढ़ता जाता
स्त. IV : ए. ई. VI, 65 और XI, 158 के फलकों से। स्त. V : इ. ऐ. XIII, 134 की अप्रकाशित प्रतिकृति से । स्त. VI : इ. ऐ. XVII, 310 के फलक से । स्त. VII : ए. ई. I, 162 की अप्रकाशित प्रतिकृति से। स्त. VIII : ए. ई. I, 77 के फलक से । स्त. IX : ए. इ. II, 120 के फलक से । स्त. X : इ. ऐ. VI, 50 के फलक से। स्त. XI : इ. ऐ. VI, 192 के फलक से । स्त. XII : इं. ऐ. XVIII, 11 के फलक से । स्त. XIII : ए. ई. I, 234 के फलक से।। स्त. XIV : इ. ऐ. XVI, 205 के फलक से। स्त. XV : ए. ई. II, 297 के फलक से । स्त. XVI : भावनगर संस्कृत ऐंड प्राकृत इंस्क्रिप्शंस, फल. 40, 41 से। स्त. XVII : इ. ऐ. XVI, 22 के फलक से । स्त. XVIII : ए. ई. I, 308 के फलक से । स्त.XIX: ए. इ. II, 350 के फलक से। स्त. XX : इ. ऐ. XVIII, 130 के फलक से । स्त. XXI : इ. ऐ. XI, 71, 337 के फलक से । स्त. XXII : इ. ऐ. XVI, 254 के फलक से । स्त. XXIII : ए. इ. I, 34 के फलक से ।
फलक VI अभिलेखों की प्रतिकृतियों से अक्षर काटकर स्त. I, II, III, IV : हार्नली की बावर की हस्तलिखित प्रति खंड I, II
के फलको से । स्त. V, VI, VII, IX : Anced. Oron. Ar. Ser. I, 3, फल. 6, स्तं. ___1. 2, 3 से। स्त. VIII : वियना ओरियंटल कांग्रेस, आर्यन सेक्शन, पृष्ठ 127 तथा आगे
के फलक से । . स्त. IX स्त. V, VI और VII देखिए । स्त. X : बेंडेल--कैटलाग आफ बुद्धिस्ट मैनुस्क्रिप्ट्स, फल. 2, 4 और
बलिन ओरियंटल कांग्रेस, इंडियन सेक्सन, फल. 2, 1 से
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