________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
२४०
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारतमें दुर्भिक्ष ।
" हिन्दी - समाचार " कहता है कि:
हम पिछले सप्ताह लिख चुके हैं कि भारतका अकाल ज्यों ज्यों जमाना गुजरता है त्यों त्यों भयानक से भयानक होता जा रहा है । अकालोंकी भयानकता ज्यों ज्यों जमाना बीतता है बढ़ती ही जाती है । इसके मुख्य चार सबब हम बता चुके हैं और साथ ही यह भी लिख चुके हैं कि जब तक यह दूर न होंगे तब तक भारतका पीछा अकालोंसे नहीं छूट सकता । इस समय हिन्दुस्तान के अकालको दशा बड़ी भयानक है। बरसात के दिन सूखे गुजरे, तमाम जामा बीतने के किनारे पर है, पर पानी नहीं। एक ही प्रान्त नहीं, बल्कि एक सिरे से दूसरे सिरे तक यही हाल है । चारों ओर महँगीका कष्ट दिखाई दे रहा है । शहरों में चारों ओर बिना नौकरीवाले जियादा भटकते नजर आते हैं । बम्बई में अपनी तनखाह बढ़वानेके लिए ७५ मिलोंके एक लाख मजदूरोंने हड़ताल कर दी है । ऐसी हड़ताल हिन्दुस्तान के इतिहास में कभी नहीं हुई थी।
1
" अवधवासी " लखनऊ अपने २९ जनवरी १९१९ के अंक में लिखता है कि:
कोई तीन मास पूर्व यह आशा उत्पन्न हुई थी कि मोटा कपड़ा जिससे गरीबोंका काम चलेगा, सरकारी उद्योगसे कुछ सस्ता बिकेगा। सरकार नियत दर पर कई प्रकारका मोटा कपड़ा बेचने और बिकबनेका प्रबन्ध कर रही है, यह समाचार प्रचरित होनेके बाद कपड़ा कई दिनों तक सस्ता बिका, आधे दामों तक उतर गया था । परन्तु फिर वही गति हो गई और सरकारी सस्ते कपड़ेका न कहीं पता है और न कोई समाचार ही है । 'घरी भरमें घर जरे और ढाई घरी
For Private And Personal Use Only