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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुर्भिक्ष। २२३ सात लाख पैंतीस हजार मनुष्य रिलीफ वर्क द्वारा और ४ लाख मनुष्य खैराती मददसे पले । इस वर्ष सरकारी प्रबन्ध इतना अच्छा था कि दुर्भिक्षसे एक भी आदमी नहीं परने पाया ! (१७) मदासका अकाल सन् १८७७ । यहा बंगाल प्रान्तके विपरीत हुआ। उधरकी कसर इधर निकाल दी गई । सर रिचर्ड टेम्युलने यह कह कर मजदूरी घटा दी कि सरकारका फर्ज भर पेट अन्न देना नहीं, बल्कि वह उतना ही अन्न देगी जिससे लोगोंका पेट न भरे, परन्तु प्राण बच जावें । आखिर दो लाख, इक्कीस हजार आठसौ मनुष्योंको अव-पेट सहायता दी गई और ५० लाख भारतवासी काल-कवलित हुए। (१८) उत्तरी भारतका दुर्भिक्ष सन् १८७८ । १२७५० मनुष्योंको अनाथालयोंसे और ५ लाख ५७ हजारको Relief work द्वारा सहायता दी गई । प्रबन्ध ठीक न होने के कारण १२६ लाख मनुष्य मृत्युके ग्रास हुए । (१९) मद्रासका अकाल सन् १८८९ । सहायता दी गई किंतु लोग अधिक मरे । (२०) मद्रास, बंगाल, वर्मा और अजमेरका दुर्भिक्ष सन् १८९७॥ यह अकाल बहुत भयंकर था। सहायता की गई । बंगाल में मृत्यु नहीं हुई, परन्तु मद्रासमें बहुत मरे । (१) उत्तर पश्चिम प्रान्त, बंगाल, वर्मा, मद्रास और बम्बईका दुर्भिक्ष सन् १८९७ । __जितने दुर्भिक्ष भारतमें पड़े यह उन सबोंसे भयानक और कठोर था । इसका प्रभाव समस्त भारत पर पड़ा था। ३० लाख For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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