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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विदेशी शक्कर। १४३ ....ruwwwwwwwwwwwnwarwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww One portion of our advice to the public must therefore be, not to purchase the inferior brown sugar of the shop. (See pages 17,31 " Food and adulerations" by Doctor Hassal London 1855). __ अर्थात्-खून एक प्रकारके जमनेवाले रस और सफेदी तथा कई प्रकारके नमक एवं खराब वस्तुओंसे बनता है, अतः शक्कर बनानेमें इसका प्रयोग केवल घृणित ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्यके लिये भी हानिप्रद है । शक्करके शुद्ध करनेवाले शायद यह कहें कि सारा खून छान कर अलग कर दिया जाता है। किंतु वास्तवमें ऐसा नहीं है, जो इस प्रकार सिद्ध हो सकता है कि एक बड़े गिलासमें गर्म पानी भर कर उसमें कुछ दानेदार शक्कर डाल दीजिए। फिर गल जाने पर उसकी पेंदीमें जो मैल जम जाता है उसे खुर्दबीन द्वारा देखा जाय और डाक्टरी तरीकेसे उसका विश्लेषण किया जाय तो पहली चीज उसमें नुकीले रेशेसे नजर आयेंगे, दूसरे खूनकी जमी हुई सफेदी दिखाई पड़ेगी। खूनका प्रयोग करनेका कारण है तो केवल यह कि वह सस्ता है, लेकिन जब कि न केवल सस्ते और सफाई बल्कि स्वास्थ्यका प्रश्न भी साथ ही है तो किफायतका खयाल एक क्षण नहीं रखना चाहिए । हम इसके लिये अकाट्य प्रमाण दे चुके कि विदेशी खाड जो यहाँ आती है और खास कर वह जो सर्व-साधारणमें बेची जाती है, अत्यंत ही अपवित्र होती है । यह अपवित्रता इस सीमा तक है कि पशु, भूसी, कूकर-मुत्ते, माड, ताड़, चुकन्दर आदिसे बनती है । विदेशी शक्कर मनुष्यके खानेके अयोग्य है। हम लोगों की सम्मति है कि वे घटिया शक्कर कदापि न सेवन करें।" For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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