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भारतमें दुर्भिक्ष।
अपने देशके बन्धेजकी पगड़ी सिर पर लगाये रहते थे। हमारे भारतीय अंगरेजोंका अनुकरण करते हैं, किंतु उनके गुणोंका अनुकरण जरा भी नहीं करते। देखिए वे अपने देशके कसे सच्चे भक्त हैं जो कई समुद्रों पार आकर भी उन्होंने अपने देशका पहिनावा नहीं छोड़ा। भले ही उन्हें वह भारतमें नितान्त
असुविधा प्रद हो, किंतु उसे त्यागना वह पाप समझते हैं । और .इधर हमारे भारतकी अवस्था पर ध्यान दीजिए !
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