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भारतके प्राचीन राजवंश
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७ - युवराजदेव ( दूसरा ) ।
कर्णवेल ( जबलपुर के निकट ) से मिले हुए लेख में लिखा है कि इसने अन्य राजाओंको जीत, उनसे छीनी हुई लक्ष्मी सोमेश्वर ( सोमनाथ ) के अर्पण कर दी थी ।
उदयपुर ( ग्वालियर राज्य में ) के लेखमें लिखा है कि, परमार राजा वाक्पतिराज (मुंज) ने, युवराजको जीत, उसके सेनापतिको मारा; और त्रिपुरी पर अपनी तलवार उठाई । इससे प्रतीत होता है कि, वाक्पतिराज (मुंज) ने युवराजदेवसे त्रिपुरी छीन ली हो; अथवा उसे लूट लिया हो । परन्तु यह तो निश्चित है कि त्रिपुरी पर बहुत समय पीछे तक कलचुरियोंका राज्य रहा था। इस लिये, यदि वह नगरी परमारोंके हाथमें गई भी, तो भी अधिक समय तक उनके पास न रहने पाई होगी ।
वाक्पतिराज (मुंज) के लेख वि० सं० १०३१ और १०३६ के मिले हैं; और वि० सं० १०५१ और १०५४ के बीच किसी वर्ष उसका मारा जाना निश्चित है; इस लिये उपर्युक्त घटना वि० १०५४ के पूर्व हुई होगी ।
८- कोक्कल ( दूसरा ) 1
यह युवराजदेव ( दूसरा ) का पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसका विशेष कुछ भी वृत्तान्त नहीं मिलता है । इसका पुत्र गांगेयदेव बड़ा प्रतापी हुआ ।
९ - गांगेय देव |
यह कोक्कल ( दूसरे ) का पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसके
( १ ) Ind. Ant, Vol. XVIII P. 216. P. 235.)
( २ ) Ep. Ind Vol 1,
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