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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतके प्राचीन राजवंश दक्षमित्रा - यह नहपानकी कन्या और उपर्युक्त उषवदातकी स्त्री थी । इसका ९ लेख मिला है' । मित्र देवक - (मित्रदेव ) - यह उषवदातका पुत्र था । इसका भी एक लेख मिला है। अयम ( अर्यमन ) - - यह वत्सगोत्री ब्राह्मण और राजा महाक्षत्रप स्वामी नहपानका मन्त्री था । इसका शक संवत् ४६ का एक लेख मिला है । रुद्रदामा प्रथम - यह जयदामाका पुत्र था । इसके समय का एक लेख शक संवत् ७२ मार्गशीर्ष - कृष्णा प्रतिपदाका मिला हैं । रुद्रसिंह प्रथम - यह रुद्रदामा प्रथमका पुत्र था । इसके समय के दो लेख मिले हैं। इनमें से एक शक संवत् १०३ वैशाख शुक्ला पञ्चमीका और दूसरा चैत्र शुक्ला पञ्चमीका है । इसका संवत् टूट गया है । रुद्रसेन प्रथम - यह रुद्रसिंह प्रथमका पुत्र था । इसके समयके २ लेख मिले हैं। इनमें पहला शक संवत् १२२ वैशाख कृष्णा पञ्चमीका और दूसरा शक संवत् १२७ ( या १२६ ) भाद्रपद कृष्णा पञ्चमीका है । सिक्के । भूमक और नहपान क्षहरत-वंशी तथा चष्टन और उसके वंशज क्षत्रपवंशी कहलाते थे । भूमकके केवल ताँबेके सिक्के मिले हैं । इन पर एक तरफ नीचे की तरफ फलकवाला तीर, वज्र और खरोष्ठी अक्षरोंमें लिखा लेख तथा दूसरी तरफ सिंह, धर्म चक्र और ब्राह्मी अक्षरोंका लेख होता है । (१) Ep. Ind., Vol. VIII, p. 81, (२) Ep. Ind., Vol. VII P. 56 (3) J. Bo. Br. Roy. As. Soc., Vol. V, p. 169, (४) Ep. Ind., Vol. VIII, p. 36, ( 4 ) Ind. Ant., Vol. X, p. 157, (&) J. R. A. S., 1890 p. 651, ()J. R. A. S., 1890, p, 652. ( ८ ) Ind. Ant., Vol. XII, p. 32, For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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