________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भारत के प्राचीन राजवंश ।
१ क्षत्रप-वंश।
क्षत्रप-शब्द । यद्यपि 'क्षत्रप' शब्द संस्कृतका सा प्रतीत होता है, और इसका अर्थ भी क्षत्रियोंकी रक्षा करनेवाला हो सकता है । तथापि असलमें यह पुराने ईरानी ( Persian)'क्षUपावन' शब्दका संस्कृतरूप है । इसका अर्थ पृथ्वीका रक्षक है । इस शब्दके 'खतप' (खत्तप), छत्रप और छत्रव आदि प्राकृत-रूप भी मिलते हैं।
संस्कृत-साहित्यमें इस शब्दका प्रयोग कहीं नहीं मिलता । केवल पहले पहल यह शब्द भारत पर राज्य करनेवाली एक विशेष जातिके राजाओंके सिक्कों और ईसाके पूर्वकी दूसरी शताब्दीके लेखोंमें पाया जाता है।
ईरानमें इस शब्दका प्रयोग जिस प्रकार सम्राट्के सूबेदारके विषयमें किया जाता था, भारतमें भी उसी प्रकार इसका प्रयोग होता था। केवल विशेषता यह थी कि यहाँ पर इसके साथ महत्त्व-सूचक 'महा' शब्द भी जोड़ दिया जाता था । भारतमें एक ही समय और एक ही स्थानके क्षत्रप और महाक्षत्रप उपाधिधारी भिन्न भिन्न नामोंके सिक्के मिलते हैं । इससे अनुमान होता है कि स्वाधीन शासकको महाक्षत्रप और उसके उत्तराधिकारी-युवराज-को क्षत्रप कहते थे । यह उत्तराधिकारी अन्तमें स्वयं महाक्षत्रप हो जाता था।
For Private and Personal Use Only