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भारतके प्राचीन राजवंश
दिया । इस हारकी खबर पाते ही अल्लाउद्दीन बहुत क्रुद्ध हुआ और उसने प्रसिद्ध सेनापति कमालुद्दीनकी अधीनतामें एक बड़ी सेना सहायतार्थ रवाना की। कमालुद्दीनने वहाँ पहुँच जालवर पर अधिकार कर लिया
और नेहरदेवको मय उसके कुटुम्ब और फौजके कत्ल कर डाला तथा उसका सारा खजाना लूट लिया }"
उपर्युक्त तवारीखसे उक्त घटनाका हि० स०७९ (वि० सं० १३६६ई. स. १३०९) में होना पाया जाता है।
मृता नैणसीकी ख्यातमें लिखा है:---
" चाचिगदेवके तीन पुत्र थे। सांवतसी रावल, चाहड़देव और चन्द्र । सांवतसीके पुत्र का नाम कान्हड़देव था । यह जालोरका राजा था। यह मथ अपने पुत्र वीरमके बादशाहसे लड़कर मारा गया । इसके मरनेपर जालोर बादशाहके कब्जे में चला गया। उक्त घटना वि० सं० १३६८ की वैशाख सुद ५ को हुई थी।"
तीर्थकल्पके कर्ता जिनप्रभसूरिन लिखा है कि वि० सं० १३६७ में अलाउद्दीनकी सेनाने सांचोरके महावीर स्वामीके मन्दिरको नष्ट किया । इससे प्रकट होता है कि जालोरपर आक्रमण करते समय ही उक्त मन्दिर नष्ट किया गया होगा; क्योंकि सांचोर और जालोरका अन्तर कुछ अधिक नहीं है।
उक्त घटनाके साथ ही नाडोलके चौहानोंका मुख्य राज्य अस्त हो गया। इसके आसपास अलाउद्दीनने सिवाना और साँचोर पर भी अपना प्रभुत्व फैला दिया। सिवानाके किलेके लेनेके विषयमें तारीख फरिश्तामें लिखा है:--
"जिस समय मलिक काफूर दक्षिणमें राजा रामदेवको परास्त करनेमें लगा था, उस समय अलाउद्दीन सिवानके राजा सीतलदेवसे दुर्ग छीननेकी कोशिश कर रहा था। क्योंकि कई बार इस कार्यमें निष्फलता हो चुकी ( Brigg's Farishta, Val. I., P. 389-70.
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