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भारतके प्राचीन राजवश
इसने मुसलमानोंका मद मर्दन किया । सिंधुराजको मारा । यह भर. तमुनिकृत ( नाट्य ) शास्त्रके तत्त्वोंको जाननेवाला और गुजरातके राजासे अजेय था । इसने जालोरमें महादेवके हो मन्दिर बनवाये थे। इसकी रानीका नाम प्रह्लादनदेवी तथा पुत्रोंका नाम चाचिगदेव और चामण्डराज था।
तवारीख ए फरिश्ता लिखा है कि-" जलवर के सामन्तराजा उदयशाने कर देने से इनकार किया । इसपर बादशाहको उसपर चढ़ाईकर उसे काबूमें करना पड़ा।"
ताजुलभ आसेर में लिखा है :--
" शम्सुद्दीनको मालूम हुआ कि जालेवर दुर्गके निवासियोंने मुसलमानों द्वारा किये गये रक्तपातका बदला लेनेका विचार किया है। इनकी पहले भी एक दो बार इसी प्रकारकी शिकायत आ चुकी थी। इस लिए शम्सुद्दीनने बढो भारी सेना एकत्रित की और सन्नाद्दीन हम्जा, इज्जुद्दीन बखतियार, नासिरुद्दीन मर्दानशाह, नासिरुद्दीनअली और बदरुद्दीन आदि वारोंको साथ ले जालोरपर चढ़ाई की। यह खबर पाते ही उदीशाह जालोरके अजेय किलेमें जा रहा । शाही फौजने पहुँच उसे घेर लिया। इस पर उसने शाही फौजके कुछ सर्दारोंको मध्यस्थ बना माफी प्राप्त करनेका यत्न प्रारम्भ किया। इस बात पर विचार हो ही रहा था कि इसी बीच किलेके दो तीन बुर्ज तोड़ डाले गये । इस पर वह खुले सिर और नंगेपैर आकर सुलतानके पैरों पर गिर पड़ा। सुलतानने भी दया कर उसको माफ कर दिया और उसका किला उसीको लौटा दिया। इसकी एवजमें रायने करस्वरूप एकसौ ऊँट और बीस घोड़े सुलतानकी भेट किये, इस पर सुल्तान दिल्लीको लौट गया।"
(१) Brigg's Farishta Vol. I., P. 207. (२) Elliat's History of India, Vol. II., p. 238.
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