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भारतके प्राचीन राजवंश
उसका चचा अणहिल्ल राजा हुआ। इसने भी उपर्युक्त अनहिलवाड़े के भीमदेवको हराया, बलपूर्वक सांभरपर अधिकार कर लिया, भोजके सेनापति (दंडाधीश ) को मारा और मुसलमानोंको हराया।"
वि० सं० १०७८ में राज्याधिकार पाते ही गुजरात के चौलुक्यराजः भीमदेवने विमलशाह नामक वैश्यको धंधुकपर चढ़ाई करनेकी आज्ञा दी थी। उसी समय शायद भीमदेवकी सेनाने नाडोल पर भी आक्रमण किया होगा । परंतु सूधाके लेख में ही आगे चलकर लिखा है:
जज्ञे भूभृत्तदनु तनयस्तस्य वा( वा )लप्रसादो भीमक्ष्माभचरणयुगलीमद्देनव्याजतो यः ॥ कुर्वन्पीडामतिव( ब )लतया मोचयामास कारा
गाराद्भूमीपतिमपि तथा कृष्णदेवाभिधानं ॥ १८ ॥ अर्थात् अणहिलके पुत्र बालप्रसादने भमिके चरणोंको पकड़नके बहानेसे उसे दबाकर कृष्णको उसकी कैदसे छुड़वा दिया । परन्तु इससे प्रकट होता है कि बालप्रसाद भीमका सामन्त था और सम्भव है कि अणहिल्लपरके उपर्युक्त आक्रमणके समय ही उसे अन्तमें भीमकी अधीनता स्वीकार करनी पड़ी हो । __ प्रबन्धचिन्तामणिसे ज्ञात होता है कि जिस समय भीम सिन्धकी तरफ व्यस्त था उस समय मालवाधीश भोजके सेनापति कुलचन्द्रने आबूके परमार राजा धंधुककी सहायतार्थ अनाहिलवाड़ेपर चढ़ाई की थी और उस नगरको नष्ट कर विजयपत्र लिखवा लिया था ! इसका बदला लेनेके लिये ही भाजके अन्तसमय जब चेदीके कलचुरीवंशी राजा कर्णने मालवेपर चढ़ाई की, तब भीमने भी उसका साथ दिया । अतः सम्भव है कि भीमके सामन्तकी हैसियतसे अणहिल्ल भी उस युद्ध में सम्मिलित हुआ होगा और वहीं उपर्युक्त सेनापतिको मारा होगा।
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