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भारतके प्राचीन राजवंश
नाडोल और जालोरके चौहान ।
Oromo.oहम पहले वाक्पतिराज ( प्रथम ) के वर्णनमें लिख चुके हैं कि उसके दूसरे पुत्र लक्ष्मणराजने नाडोल (मारवाड़) में अपना अलग राज्य • स्थापित किया था।
१-लक्ष्मण । यह वाक्पतिराज प्रथमका दूसरा पुत्र था और इसने साँभरसे आकर नाडोलमें अपना राज्य स्थापित किया।
वि० सं० १०१७ ( ई० स० ९६०) में सोलंकी राजा मूलराजने गुजरातके अन्तिम चावड़ा राजा सामन्तसिंहको मारकर उसके राज्य पर अधिकार कर लिया था। सम्भव है उसी अवसरमें लक्ष्मणने भी नाडोल पर अपना कब्जा कर लिया होगा ।
इसका दूसरा नाम राव लाखणसी भी था और इसी नामसे यह राजपूतानेमें अबतक प्रसिद्ध है।
कर्नल टौडने अपने राजस्थानमें लिखा है कि नाडोलसे उक्त लाखणसीके दो लेख मिले थे । उनमेंसे एक वि० स० १०२४ का और दूसरा वि० सं० १०३९ का था । ये दोनों लेख उन्होंने रायल एशियाटिक सोसाइटीको भेट किये थे। उनमेंसे पिछले लेखमें लिखा था कि-" राव लाखणसी वि० सं० १०३९ में पाटण नगरके दरवाजेतक चुंगी वसूल करता था और उस समय मेवाड़ पर भी उसीका अधिकार था । ” परन्तु यह बात सम्भव प्रतीत नहीं होती । क्योंकि एक तो उस समय नाडोलके निकट ही हलूंदी गाँवमें राठोड़ोंका स्वतंत्र राज्य था और गोड़वाड़का बहुतसा प्रदेश आबूके परमारोंके अधीन था। इससे प्रकट होता है कि लक्ष्मण एक साधारण राजा था । दूसरा उस समय पाटण (गुजरात) (१) Rajsthan, Vol. I. P. 232.
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