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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौहान-वंश । चचा था, तथा राज्य पर बैठनेके पूर्व बहुधा विदेशमें ही रहा करता था। इसने अपने नाना सिद्धराज जयसिंहसे शिक्षा पाई थी। पृथ्वीराज-विजयसे ज्ञात होता है कि कुमारपालने जब कोंकनके राजापर चढ़ाई की थी तब यह भी उसके साथ था और इसीने कोंकनके राजाको युद्धमें मारा था। यह घटना सोमेश्वरके राज्यपर बैठनेके पूर्व हुई थी। __इसने चेदी ( जबलपुर ) के राजा नरसिंहदेवकी कन्यासे विवाह किया था। इसका नाम कर्पूरदेवी था । इससे इसके दो पुत्र हुएपृथ्वीराज और हरिराज। ___ यह राजा ( सोमेश्वर ) बड़ा वीर और प्रतापी था। बीजोल्याके लेखमें इसकी उपाधि ' प्रतापलकेश्वर' लिखी है। पृथ्वीराजरासा नामक काव्यमें लिखा है “ सोमेश्वरका विवाह देहलकि तँवर राजा अनङ्गपालकी पुत्री कमलासे हुआ था। इसीसे पृथ्वीराजका जन्म हुआ। तथा इसे (पृथ्वीराजको) इसके नाना देहलीके तँवर राजा अनङ्गपालने गोद ले लिया था।” परन्तु यह बात कपोलकल्पित ही प्रतीत होती है। क्योंकि विग्रहराज ( बीसल) चतुर्थके समय ही देहलीपर चौहानोंका अधिकार हो चुका था । अतः चौहान राज्यके उत्तराधिकारीका अपने सामन्तके यहाँ गोद जाना असम्भव ही प्रतीत होता है। कर्नल टौड साहबने तँवर अनङ्गपालकी कन्याका नाम रूखादेवी लिखा है। हम्मीर-महाकाव्यमें सोमेश्वरकी रानीका नाम कपुरदेवी ही लिखा है और यद्यपि इसमें पृथ्वीराजका सविस्तर वर्णन दिया है, तथापि देहलीके राजा अनंगपालके यहाँ गोद जानेका उल्लेख कहीं नहीं है। २४९ For Private and Personal Use Only
SR No.020119
Book TitleBharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1920
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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