________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चौहान-वंश ।
प्रबन्धकोशके अन्तकी वंशावलीमें वीसलदेवके पीछे अमरगांगेयका और उसके बाद पेथड़देवका अधिकारी होना लिखा है।
अबुलफजल बील ( बीसलके ) बाद अमरंगूका राजा होना बतलाता है।
भाटोंकी ख्यातोंमें वीसलदेवके पीछे अमरदेव या गंगदेवका अधिकारी होना लिखा है।
हम्मीर महाकाव्यमें वीसलदेवके पीछे जयपालका और उसके बाद गंगपालका नाम लिखा है । परन्तु यह ठीक प्रतीत नहीं होता। बीजोल्याके लेखमें इसका नाम नहीं है। ___ उपर्युक्त लेखोंपर विचार करनेसे अनुमान होता है कि अमर गांगेय बहुत ही थोड़े दिन राज्य करने पाया होगा और पूर्वोक्त जगदेवके पुत्र पृथ्वीराज द्वितीयने इससे शीघ्र ही राज्य छीन लिया होगा । इसीसे पृथ्वीराज-विजयमें और बीजोल्याके लेखमें इसका नाम नहीं दिया है।
२९-पृथ्वीराज (द्वितीय)। ___ यह जगदेवका पुत्र और विग्रहराजका भतीजा था । इसने अपने चचेरे भाई अमरगांगेयसे राज्य छीन लिया। वि० सं० १२२५ की ज्येष्ठ कृष्णा १३ का एक लेख रूठी रानीके मन्दिरमें लगा है। यह मन्दिर मेवाड़ राज्यके जहाजपुरसे ७ मील परके धोड़ गाँवमें है । इसमें इसको अपने बाहुबलसे शाकम्भरीका राज्य प्राप्त करनेवाला लिखा है । इससे भी पूर्वोक्त बातकी ही पुष्टि होती है।
पृथ्वी, पेथड़देव, पृथ्वीभट आदि इसके उपनाम थे !
यह बड़ा दानी और वीर राजा था । इसने अनेक गाँव और बहुतसा सुवर्ण दान किया था, तथा वस्तुपाल नामक राजाको युद्ध में परास्त कर उसका हाथी छीन लिया था ।
२४७
For Private and Personal Use Only