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भारतके प्राचीन राजवंश
समय सपादलक्षके नामसे प्रसिद्ध था । इसीका अपभ्रंश ' सवालक शब्द अबतक अजमेर, नागोर और सांभर के लिये यहाँ पर प्रचलित है ! सपादलक्ष शब्द का अर्थ सवालाख है । अतः सम्भव है कि उस समय इनके अधीन इतने ग्राम हों ।
इसके बाद इन्होंने अजमेर बसाकर वहाँपर अपनी राजधानी कायम की । तथा इन्हींकी एक शाखाने नाडोल ( मारवाड़ में ) पर अपना अधिकार जमाया । इसी शाखाके वंशज अबतक बूँदी, कोटा और सिरोही राज्य के अधिपति हैं ।
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१ - चाहमान |
इस वंशका सबसे पहला नाम यही मिलता है ।
इसके विषय में जो कुछ लिखा मिलता है वह हम पहले ही इनकी उत्पत्तिके लेख में लिख चुके हैं ।
२- वासुदेव |
यह चाहमानका वंशज था ।
अहिच्छत्रपुर से आकर इसने शाकंभरी ( सांभर - मारवाड़ राज्य में } की झीलपर अधिकार कर लिया था । इसीसे इसके वंशज शाकम्भरीश्वर कहलाये' |
प्रबन्धकोशके अन्तकी वंशावली में इसका समय संवत् ६०८ लिखा है | अतः यदि उक्त संवत्को शक संवत् मान लिया जाय तो उसमें १३५ जोड़ देने से वि० सं० ७४३ में इसका विद्यमान होना सिद्ध होता है ।
३ - सामन्तदेव |
यह वासुदेवका पुत्र और उत्तराधिकारी था ।
(१) पृथ्वीराज - विजय, सर्ग ३ |
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