________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२०)
किसीमें अग्निवंशी लिखा मिलता है। इसकी मिसाल इसी इतिहासमें जगह जगह मिल सकती है। ___ बंगालमें वैद्य ही सेनवंशी नहीं हैं कायस्थ भी हैं, जिनका राज्य चन्द्रदीप जिले बाकरगंजमें मुसलमानोंके पहलेसे चला आता था । पर अब अंगरेजी अमलदारीमें करज़ा ज़ियादा होनेसे बरवाद हो गया है।
आइने अकबरीमें नीचे लिखे ७ सेनवंशी राजाओंका ३०६ बरस तक राजकरना लिखा है:--
१ सुखसेन २ बल्लालसेन ( गौडका किला इसीका बनवाया हुआ था) ३ लखमनसेन ४ माधवसेन ५ केशवसेन ६ सदासेन ७ राजा नोजा ( दनोजा माधव )
जब राजा नोजा मर गया तब राय लखमनसनका बेटा लखमना राजा हआ : उसकी राजधानी नदियामें थी। ज्योतिषियोंने उसको राज्य और धर्म पलट जानेको खबर दी थी और सामुद्रिक शास्त्रके अनुसार इन कामोंका करनेवाला बख्तियार खिलजी बताया था । यह बख्तियार मुलतान शहाबुद्दीन गोरीका गुलाम था और सिर्फ १८ सवारोंसे बिहार जैसे बड़े सूबेको फतह कर चुका था। राजाने तो ज्योतिषियोंके कहने पर ध्यान नहीं दिया पर वे लोग वहमके मारे नदियासे निकल भागे और अपने साथ ही दूसरोंको भी कामरूप और जगन्नाथपुरीकी तरफ लेते गये । यह सुन जब खिलजीबच्चा बंगालमें आया तव राजाको भी भागना पड़ा । खिलजीने नदियाको उजाड़ कर लखनोती बसाई; जिसकी नींव राजा लखमनसन डाल गया था । मुलतान कुतुबुद्दीन ऐबकने भी; जो संवत् १२४९ से शहाबुद्दीन गोरीका वायसराय था, लखनोतीको बखतियारकी जागारमें लिख दिया। कुतुबुद्दीनकी ही मददसे बख़तियारने संवत् १२५५ में बिहार और संवत् १२५६ में
(१) कायस्थकुलदर्पण (बंगला )।
For Private and Personal Use Only