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भारतके प्राचीन राजवंश
समय बाद, अपनी ही निर्बलताके कारण, वह अपने कुटुम्बी उदयादित्य द्वारा गद्दीसे उतार दिया गया हो। इसीसे शायद उसका नाम पूर्वोक्त लेखोंमें नहीं पाया जाता। __ जयसिंहने अपनी बहनका विवाह कर्णाटके राजा चौलुक्य जयसिंहके साथ किया। दहेजमें उसने अपने राज्यका वह भाग, जो नर्मदाके दक्षिणमें था, जयसिंहको दे दिया। उसने अपना विवाह चेदीके राजाकी कन्यासे किया । ___ जयसिंहने धारामें एक महल बनवाया था, जो कैलास कहलाता था। उसमें साधु-सन्त ठहरा करते थे। यह बात कथाओंसे जानी जाती है ।
जयसिंहने बहुत ही थोड़े समय तक राज्य किया; क्योंकि उदयादित्य. का वि० सं० १११६ ( ई० सं० १०५९) का एक लेख मिला है, जिससे उस समय उदयादित्यहीका राजा होना सिद्ध होता है।
पूर्वोक्त लेखसे यह मालूम होता है कि जयसिंहका देहान्त वि० सं० १११२ ( ई० स० १०५५ ) और वि० सं० १११६ ( ई० स० १०५९ ) के बीच किसी समय हुआ ।
११-उदयादित्य । यह राजा भोजका कुटुम्बी था । नागपुरकी प्रशस्तिके बत्तीसवें श्लोकमें लिखा है कि भोजके स्वर्ग जाने पर उसके राज्य पर जो विपत्ति आई थी उसको उसके कुटुम्बी उदयादित्यने दूर किया और स्वयं राजा बन कर कर्णाटवालोंसे मिले हुए राजा कर्णसे भोजके राज्यको फिर छीन लिया।
बिल्हण कविने विक्रमाङ्देवचरितके अन्तर्गत भोजके वृत्तान्तमें लिखा है कि कर्णाटकके राजा चौलुक्य सोमेश्वर (आहवमल्ल) ने भोज पर चढ़ाई की थी। यह चढ़ाई भोजके शासनकालके अन्तमें हुई होगी। (१) Ep. Ind, Vol. II, P. 182.
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