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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [शकारादि (७४०६) शताहादितैलम् (१) . इसकी नस्यसे वात कफज तिमिर रोग और ( भा. प्र. म. खं. २ । वातरक्ता. ; यो. र.: शिर शूलादि नष्ट होता है । वृ. नि. र. । वातरक्ता.) (७४०८) शाखोटकविल्यतैलम् क्वाथेन शतपुष्पायाः कुष्ठस्य मधुकस्य च ।। (वृ. यो. त. । त. १०८ ; भै. र. । गलगण्डा. ; एकैकं साधयेत्तैलं वातरक्तरुजापहम् ॥ व. से. । गलगण्डा.) १ सेर तेलमें सोयेका ४ सेर काथ मिलाकर | गण्डमालापहं तैलं सिदं शाखोटकत्वचा-। पकावें । जब क्वाथ जल जाय तो तेलको छान लें बिल्वाश्वमारनिर्गुण्डीसाधितं चापि नावनम् ।। और फिर उसमें कूठका ४ सर क्वाथ डाल कर ___ कल्क-सिहोड़ेकी छाल, बेल छाल, कनेपकावें । जब यह क्वाथ भी जल जाय तो मुलै- रकी छाल और मुण्डी २॥२॥ तोले ले कर ठीका ४ सेर क्वाथ मिला कर पका और इसके | कल्क बनावें । जल जाने पर तेलको छान लें। क्वाथ-उपरोक्त ओषधियां आधा आधा यह तैल वातरक्तको नष्ट करता है। सेर ले कर, कूट कर १६ सेर पानीमें पकावें और (७४०७) शताहादितैलम् (२) ४ सेर पानी रहने पर छान लें । (ग. नि. । शिरो. १ ; वृ. मा. ; वृ. नि. र. ; १ सेर तेलमें उपरोक्त कल्क और क्वाथ च. द. ; व. से.) मिलाकर पकावें । जब पानी जल जाय तो तेलको छान लें। शताहेरण्डमूलोग्रावक्रव्याघ्रीफलैः श्रुतम् ।। इसकी नस्य लेनेसे गण्डमाला नष्ट होती है । तैलं नस्यान्मरुच्लेष्मतिमिरोर्ध्वगदापहम् ॥ कल्क-सोया, अरण्डमूल, बच, तगर और (७४०९) शारिवाद्यं तैलम कटैलीके फल २-२ तोला लेकर सबको एकत्र (र. र. । वातरक्ता.) पानीके साथ पीस लें। शारिवारिष्टकूष्माण्डपोतकीभस्मजाऽम्बुना । क्वाथ-उपरोक्त ओषधियां ३२-३२ तोले गुडूचीक्वाथदुग्धं च कर्मरगरसेन च ॥ ले कर सबको अधकुटा करके १६ सेर पानीमें पचेतैलश्च तिलनं दत्त्वैतानि भिषग्यरः । पका और ४ सेर शेष रहने पर छान लें । । काकोल्यौ जीरकं मेदे शताहा क्षीरिणी युतैः॥ १ सेर तेलमें उपरोक्त क्वाथ और कल्क जिङ्गीसिक्थामृतानन्तासर्जसैन्धवचन्दनैः । मिला कर पकावें जब पानी जल जाय तो तेलको षड्गुञ्जाधिकचतुर्मासं कर्षद्वितयसंयुतम् ।। छान लें। हन्ति वातास्रज पोरं स्फुटितं गलितन्तथा । For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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