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स्त्रीरोग]
पञ्चमो भागः (चि. ए. प्र.)
६१३
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कुष्ठ.
७३७७ शाल्मली धृ० समस्त प्रदर
रस-प्रकरणम् ७३७९ शीतकल्याणकं
| ७६०८ शिलाजतु वटिका रक्त प्रदर, पाण्डु, ज्वर घृतम् प्रदर, रक्तगुल्म, ज्वर, ८१२१ संकोच पिष्टिका अरुचि, अल्पातव, गर्भ
रस: प्रसूत वात, वातव्याधि, न रहना ७९६३ सोमघृतम् गर्भावस्थामें सेवन करनेसे । ८१८३ सागसुन्दररसः अङ्गमर्द, पीडायुक्त बुद्धिमान् , नीरोग और
समस्त प्रदर, कष्ट साध्य बाग्मी पुत्र उत्पन्न होता
अग्निमांद्य,कास प्रतिश्या० है। बन्ध्यत्व और योनि- ८२६५ सूतिका न रसः सूतिका रोग, ज्वरातिसार, दोष नाशक ।
कास ७९६४ , ऊपरके समान । । ८२६६ सूतिकान्तकरसः सूतिका रोग, संग्रहणी,
भयंकर अतिसार, कास तैल-प्रकरणम्
८२६७ सूतिकाभरणरसः प्रवृद् सूतिका रोग, ७४०० शतावरीतैलम् योनिशल, पदर
विशेषतः धनुर्वात् ८२६८ सूतिकारि रसः नाशक तथा पु-दाता
कष्ट माध्य सूतिका रोग, ७४२७ श्रीपर्णी तैलम् स्तनोंको कठोर और पुष्ट
आर. ६षा, सरुचि, शोथ मन
भूतिका गेग. जो चर करता है
शोथ, यही, लोहा, ८५५२ हेम सुन्दर तैलम् सूतिका रोग, दुः स्वेद ८७३२ क्षार तैलम् बालोंको निर्मूल करता है।
८२७० मृतिकारोगनाशन
रसूतिका रंग लेप-प्रकरणम्
८२७१ मृतिकावल्लभोरसः सतिका, कष्ट साध्य ७४४२ शंखादि लेपः लोम नाशक
गहणी, प्रबल अतिसार, ७४४२(अ) , , लोम निर्मुलक
ग्रहणी, दुर्बलता ७४५८ शालिपर्ष्यादि सुख प्रसवकारक | ८२७२ सूतिकाविनोदरसः सूतिका रोग ७४७८ शुण्ट्यादि योनि शूल नाशक, योनि ८२७३ निकाहरो रसः सूतिका रोगमें शीघ्र संकोचक सरल योग।
"ल प्रद ८५५६ हरितालादि लोमनाशक ।
८२७४ , सूर्तिका रोग, अतिसार
'रसः
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