SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 612
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६०० कषाय-प्रकरणम् ७१८७ शतावरीकल्कः शरीरगत वायु ७१९८ शतावर्यादि ७७८२ सहचरादि काथः ८४२४ हरीतक्यादिकषायः वातव्याधि द्वादशाङ्गः ७२६० शेफालिकाक्वाथः कष्टसाध्य गृध्रसी । सरल योग ७२६१ शेफालिकादिकाथः ऊरुस्तम्भ ७७७९, समीरदावानलक्काथः समस्त वातव्याधि भारत-भैषज्य रत्नाकरः (४७) वातव्याध्यधिकारः " www. kobatirth.org चूर्ण-प्रकरणम् ७३०९ शुण्ठीचूर्णम् ७३१५ शुण्टयादि चूर्णम् समस्त वातज रोग ७७४२ षड्धरण योगः आमाशयगत वायु ८४५७ हरीतक्यादिकल्क: ऊरुस्तम्भ | ८४६६ चूर्णम् अपतन्त्रक । (भल्लातकयोग) वातव्याधि जंघाशूल और ऊरु स्तंभको ७ दिन में नष्ट कर देता है । ७३३६ शित्वचादिवटिका पक्षाघात, हनुस्तम्भ, कटिभंग तीव्र बाहुपीड़ा गुटिका-प्रकरणम् गुग्गुलु-प्रकरणम् सर्वागवात ७७४७ षडङ्ग गुग्गुलुः ७७४९ षडशीति ७९२५ स्वायंभुव Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७९५२ सारस्वत " ו' अवलेह -प्रकरणम् ७३५२ शिंशिपात्वगादियोगः गृध्रसी को २० दिन नष्ट करता है For Private And Personal Use Only घृत-प्रकरणम् ७३६० शतावरी घृतम् पंगुता, अर्दित, नपुंस्कता, वन्ध्यत्व मूकता, जडता और गद गद शब्द । 99 ७९५३ ७९५९ सुकुमारकुमारक घृतम् 29 वातव्याधि । समस्त धातु गत और समस्त अवयवों में ७३९७ शतकप्रसारिणी तैलम् ७४०० शतावरीतैलम् [ वातव्याधि स्थित वायु सन्धि, अस्थि और मजागत वायु " तैल प्रकरणम् 39 3: योनि और लिंगकी वातज पीड़ा, मलावरोध । वातव्याधि योनिशूल, अंगशूल, शिर ७३४५ शतावरी गुग्गुलुः वातव्याधि शूल, गृध्रसी आदि ७२४६ शिवा गुग्गुलुः कटिशूल, गृध्रसी, क्रोष्टु ७४०१ शतावरीतैलम् पंगुता, त्वग्गत वात, शिरा शीर्ष वातव्याधि | और स्नायु गत वायु
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy