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कषाय-प्रकरणम्
७१८७ शतावरीकल्कः शरीरगत वायु ७१९८ शतावर्यादि
७७८२ सहचरादि काथः ८४२४ हरीतक्यादिकषायः
वातव्याधि
द्वादशाङ्गः ७२६० शेफालिकाक्वाथः कष्टसाध्य गृध्रसी । सरल योग
७२६१ शेफालिकादिकाथः ऊरुस्तम्भ
७७७९, समीरदावानलक्काथः समस्त वातव्याधि
भारत-भैषज्य रत्नाकरः
(४७) वातव्याध्यधिकारः
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चूर्ण-प्रकरणम् ७३०९ शुण्ठीचूर्णम्
७३१५ शुण्टयादि चूर्णम् समस्त वातज रोग ७७४२ षड्धरण योगः आमाशयगत वायु ८४५७ हरीतक्यादिकल्क:
ऊरुस्तम्भ |
८४६६ चूर्णम् अपतन्त्रक ।
(भल्लातकयोग)
वातव्याधि
जंघाशूल और ऊरु
स्तंभको ७ दिन में नष्ट कर देता है ।
७३३६ शित्वचादिवटिका
पक्षाघात, हनुस्तम्भ, कटिभंग तीव्र बाहुपीड़ा
गुटिका-प्रकरणम्
गुग्गुलु-प्रकरणम्
सर्वागवात
७७४७ षडङ्ग गुग्गुलुः
७७४९ षडशीति
७९२५ स्वायंभुव
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७९५२ सारस्वत
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अवलेह -प्रकरणम्
७३५२ शिंशिपात्वगादियोगः गृध्रसी को २० दिन नष्ट करता है
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घृत-प्रकरणम्
७३६० शतावरी घृतम् पंगुता, अर्दित, नपुंस्कता,
वन्ध्यत्व
मूकता, जडता और गद
गद शब्द ।
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७९५३
७९५९ सुकुमारकुमारक
घृतम्
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वातव्याधि ।
समस्त धातु गत और
समस्त
अवयवों में
७३९७ शतकप्रसारिणी
तैलम् ७४०० शतावरीतैलम्
[ वातव्याधि
स्थित वायु
सन्धि, अस्थि और मजागत वायु
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तैल प्रकरणम्
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3:
योनि और लिंगकी वातज पीड़ा, मलावरोध ।
वातव्याधि
योनिशूल, अंगशूल, शिर
७३४५ शतावरी गुग्गुलुः
वातव्याधि
शूल, गृध्रसी आदि
७२४६ शिवा गुग्गुलुः कटिशूल, गृध्रसी, क्रोष्टु ७४०१ शतावरीतैलम् पंगुता, त्वग्गत वात, शिरा
शीर्ष वातव्याधि |
और स्नायु गत वायु