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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५८६ ७७३९ षडङ्ग क्वाथः कषाय-प्रकरणम् ७२६५ श्यामादिकषायः सत्रण नेत्रशुक्र ७२७३ श्रेष्ठादिक्वाथः नक्तान्ध्य, तिमिर, काच, ८७१९ क्षतशुक्रहर गुग्गुलुः भारत-भैषज्य रत्नाकरः (३१) नेत्र - रोगाधिकारः पटल, भ्रू अक्षि शिरपीड़ा शिव ७४९० शिपल्लवादि धूपः www. kobatirth.org भ्रू शूल, नक्तान्ध्य, चक्षुपीड़ा गुग्गुलु-प्रकरणम् ७७४८ षडङ्ग गुग्गुलुः आंखों की सूजन, अक्षि पाक, नेत्रशूल, पिल्ल, सव्रणशुक्र. तैल-प्रकरणम् ७९७८ सप्ताहादि तैलम् अश्रुस्राव ७९८३ सहचर तैलम् दिनान्ध्य, नेत्रकाच और नेत्रशुक्रको शीघ्र नष्ट करता है । नक्तान्ध्य, तिमिर, शिरपीड़ा लेप-प्रकरणम् ८०६४ सैन्धवादिलेप: अभिष्यन्द ८५६३ हरीतक्यादिलेप: अक्षिपाकादि नेत्ररोग धूप-प्रकरणम् नेत्रपीड़ा, खड़क, शोध अश्रस्राव, ७५२३ शृङ्गवेरादि नस्यम् नेत्रपटल " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नस्य-प्रकरणम् ७४९२ शङ्खनाभ्याद्या वर्तिः अञ्जन-प्रकरणम् तिमिर, पिच्चिट, फूला, पटल. ७४९३ शङ्खपुष्पादिवटी नेत्रपुष्प ७४९४ शङ्खादिवटिका ७४९५ वटी ७४९६ शङ्खाद्यञ्जनम् ७४९७ " ७४९८ शङ्खाद्यञ्जन " ७४९९ शम्बूकाद्यञ्जनम् ( श्यामावर्ति ः) शुक्र, काच, अर्म, पिष्टक अर्जुन रोग For Private And Personal Use Only ७५०० पुराना फूला ७५०१ शर्कराद्यञ्जनम् आंखों की रक्तता, लाल रेखा, अर्जुन ७५०२ शशिकलावर्तिः तिमिर, फूला, खाज पानी बहना, पिल्ल " ७५०३ शालपर्ण्यादि योगः नेत्ररो ७५०४ शिमुपयोगः ७५०५ शिरीष बीजा द्यञ्जनम् ७५०८ शिलाञ्जनम् ७५१० शीषशलाका जनम तिमिर, पटल नेत्रार्बुद, तिमिर, पटल नक्तान्व्य, दिवान्ध्य नेत्रप्रसादक पिल्ल रोग अनेक प्रकारकी नेत्रपीड़ फूला काच, शुक्र, अर्म, तिमिर ज्योतिवर्द्धक सलाई
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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