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. ५८२
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ज्वर
पात
। ८१३६ ,
"
-
रसः
॥
७६४३ शीतारि रसः पुराना शीतज्वर ८१३५ सन्निपातभैरवो सन्निपात में अत्यन्त ७६७९ श्री रसराजः आठ प्रकारके ज्वर
प्रभावशाली ( सोमल ७६८० श्री वेष्ठादचूर्णम् असाध्य शीताङ्ग सन्नि
और सर्पविषका योग)
सर्व उपद्रवयुक्त सन्नि७६८३ श्लेष्म कालानलो
पात, जीर्णज्वर, मेले. रसः वातकफ, पित्तकफ जीर्ण
रिया, जलदोषजज्वर ज्वर, शोथ, कफोल्वण ८१३७ , ,
सन्निपात सन्निपात
सन्निपात को अवश्य ७६८६ श्लेष्मशैलेन्द्र कफरोग, शरोरोग, ज्वर,
नष्ट करता है। __ कंडू आदि ८१३९ ,, , सन्निपात ७७६६ षडानन रसः वातपित्तज्वर, तरुणज्वर, ८१४० सन्निपातवडवानल
__ जीर्णज्वर, विषमज्वर ८१२४ सञ्जीवनाभ्रम् समस्त विषमज्वर, प्लीहा, ८१४१ सन्निपातविध्वंसकः सोपद्रव अत्युग्र सन्नियकृत्, वमन, श्वास,
पात को भी अवश्य कास, अरुचि, शूल
नष्ट करता है। ८१२५ सञ्जीवनीवटी सन्निपातके मृत्प्रायः | ८१४२ सन्निपातसूर्यरसः सन्निपात तथा तजन्य रोगीको भी जीवनदान
कफविकार देती है।
८१४.३ सन्निपातहर ८१२६ सञ्जीवनो रसः सन्निपातमें विशेष उप- रसः सन्निपात
योगी ८१४४ सन्निपातान्तक ८१३० सन्निपातकुठाररसः सन्निपात
सन्निपातको शीन नष्ठ ८१३२ सन्निपातगजाङ्कुश
करता है। रसः सन्निपातको शीघ्र नष्ट | ८१४५ ,,, अभिन्यास सन्निपात करता है। ८१४६ सन्निपातारि रसः तीव्र ज्वरको शीध्र नष्ट
करता है। - ८१३३ सन्निपात , अत्यन्त दाह और स्वेद
युक्त अभिन्यास सन्नि
८१६० सर्वज्वरहरो रसः समस्त ज्वर
पात ८१६१ , , ग्वर . ८१३४ सन्निपातभैरवो घोर सन्निपात ८१६२ , , समस्त ज्वर
रसः
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