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भारत-भैपज्य-रत्नाकरः
[ ज्वर
८४२६ हरीतक्यादि मुखकी कटुता, अरुचि,
गुटिका-प्रकरणम् मुखरोग ७८९४ सप्तलाद्यो मोदकः वातकफ ज्वर, पक्वाशय ८४२७ हरीतक्यादि चित्तभ्रम सन्निपात
__ शूल, ( रेचक) ८४३१ हरीतक्यादि ज्वरोत्थ शोथ ८५२० हरीतक्यादिगुटी ज्वर, कास, श्वास, ८४३९ होवेरादिकषायः उग्र पित्तज्वर,तृषा, दाह
मलावरोध, अग्निमांद्य ८७०० क्षुद्रादि क्वाथः जिह्वक सन्निपात ८७०१ , , सम्स शीत ज्वर
अवलेह-प्रकरणम् ८७०२ , , कफवात ज्वर, सन्नि- ७३५० शोरपावलेह वाणी-शोधक
पात, कास, स्वास, पार्श्वशूल, अरुचि
घृत-प्रकरणम् ८७०३ , , समस्त उवर
, ७७५१ षट्पल घृतम् विषम ज्वेर, अग्निमांध,
प्लीहा
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चूर्ण-प्रकरणम् ७३०३ शिरीषादिचूर्णम् विषम ज्वर
तैल-प्रकरणम् ७७४५ षोडशाङ्ग , ज्वर, शूल ७७५७ षट्कर तैलम् वातकफ ज्वर, मेलेरिया, ७७४६ , , समस्त विषम ज्वर
पाक्षिक मासिक द्वय. ७८४६ सुदर्शन , धातुगत, विषम, मानस
मासिक ज्वर और मेले रिया आदि । ७७५८ इगुणतक तै० दाह, शीत अनेक ज्वर तन्द्रा, श्वास, ७७५९ पट्चरण , ज्वर । कास, तृपा, कामला, ७९८० सर्जरसाद्यं , दाह, ज्वर, संताप हृद्रोग, कटिशूल, पार्श्व . ८०१८ स्वर्जिकार्य , दाह
शूल, जानुकूल ८७३३ क्षीरवृक्षाद्य , जीर्ण ज्वरको शीघ्र नष्ट । ७८४७ , , अनेकविध ज्वर
करता है। ७८४८ ,, , सोपद्रव अनेकविध ज्वर ७८४९ सुरसादियोगः सन्निपातकी बेहोशी
लेप-प्रकरणम् ७८९३ स्वेदशोषक चू० प्रस्वेद । ७४६५ शिवादि लेपः कर्णमूल शोथ नाशक ८४६० हरीतक्यादि ,, दुर्जल जनित ज्वर
सरल योग ८४६५ , , सन्निपात
८०४१ सिद्धार्थादि लेपः कर्णमूलशोथ पीड़ा । ८०४२ , ,, समस्त ज्वर
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