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क्षय, राजयक्ष्मा]
पश्वमो भागः (चि. प. प्र.)
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(२०) क्षयराजयक्ष्माधिकारः
तैल-प्रकरणम्
चूर्ण-प्रकरणम्
घृत-प्रकरणम् ७३३४ श्वदं'ट्रादिचूर्णम् शोष, कास ७३९५ श्वदंष्ट्रादिघृतम् क्षय, ज्वर, दाह, कास, ७७४४ षाडवं , __ यक्ष्मान्तर्गत अग्निमांब,
पार्श्वपीडा, शिरपीड़ा, मलभेदमें विशेष उप
तृष्णा, छर्दि, अतिसार योगी, पार्व पीड़ा ७७५४ घडङ्ग घृतम् स्रोत-शोधक नाशक, रोचक, दीपन,
स्वास कास नाशक ७८५६ सामुदाद्ययोगः यक्ष्मामें मल शुद्धिके । ७९९४ सुकुमारतैलम् क्षय और उसके उपलिये उपयोगी
द्रवोंमें अत्यन्त उपयोगी, ७८४० सितोपलादिचू० क्षय, दाह, कास, जि
रक्त और मांसवर्द्धक हाकी सुप्तता, पार्वशूल, अरुचि, ऊर्ध्वगत रक्त
लेप-प्रकरणम् पित्त | ७४४८ शतपुष्पादिलेपः शिरशूल, पार्श्वशूल,
__ अंशशूल अवलेह-प्रकरणम् ७३४८ शतावर्यादिलेहः क्षय
रस-प्रकरणम् ७९३० सर्पिर्गुडः क्षय, ज्वर, कास, श्वास, ७५२८ शंख गर्भपोटली
निद्रानाश, हिचकी, शुक्र ७५४४ शंख पोटली रसः क्षय क्षय, पांडु
७५६० शंखेश्वर रसः क्षय हाथ पैरोंका टूटना, ७५६२ शङ्खोदररसः क्षय, उदरस्थवायु, अतिपार्श्वशूल, शिरशूल, क्षत क्षीणता, श्रम, व्यवाय ७५६४ , , खांसी, श्वास, ज्वर, क्षय, और भारवहन जनित
अजीर्ण, अतीसार रक्त निष्ठीवन, पीनस । ७५६५ शतपत्रिकापाकः जीर्णज्वर, क्षय, कास. ८७२२ क्षुद्रावलेहः तीब्र क्षय, रक्त वमन,
अग्निमांद्य उरः क्षत, कास, श्वास . ७५९१ शिलाजतुचूर्णम् क्षय, कामला, अपस्मार,
(बलवीर्य वर्द्धक
क्षय
७९३१ , ,
सार
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