SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 584
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुछ, रक्तविकार. ] पश्चमो भागः (चि. प. प्र.) ५६९ - - - मिश्र-प्रकरणम् ७७११ शरादिक्षीरम् पित्तज कास ८६९० हरीतकोयोगः कास, श्वास ८६९३ हिसाहरणयोगः हिका नाशक सरल योग। ८६९५ हिंग्यादि यवागू हिक्का, श्वास (१७) कुष्ठ-वातरक्त-रक्तविकाराधिकारः काय-प्रकरणम् ८४५३ हरिद्रायं चूर्णम् दाद, कुष्ठ ७२०५ शम्पाकादिक्वायः सर्वाङ्गगत वातरक्त ८४५४ हरिद्रायद्वर्तनम् पामा आदि ७२३९ शुष्ठ्यादिक्वाथः कुष्ठ गुटिका-प्रकरणम् ७२५२ शुण्ठ्यादिमहाक० १८ प्रकारके कुष्ठ । ७३४४ स्वित्रहरीवटी ८ दिनमें श्वित्रको नष्ट ८४१८ हरिद्रादिकषायः कफ पित्तज कुष्ठ करती है। ८४२२ हरिद्रादि योगः कण्डू, पामा नाशक ७८९५ सहसमावटी कुष्ठ नाशक, रसायन ___सरल योग . ७८९६ सर्वाङ्गसुन्दरी ८४२३ हरीतकीयोगः दूर तक फैला स्फुटित गुटिका उपकुठको शीव नष्ट क. वातरक्त रती है चूर्ण-प्रकरणम् गुग्गुलु-प्रकरणम् ७३३२ श्यामाधुद्वर्तनम् सिध्म ७९२० समशर्क'गुग्गु० वातरक्त, भगन्दर, क्षय, ७८२४ सप्तसमयोगः कुष्ठनाशक, मेव्य, वृष्य विषमवर, अग्निमांद्य, ७८३३ सर्वकुष्ठाङ्कुश समस्त प्रकारके कुष्ठ वातरोग ७८३४ सर्षपादि चूर्णम् स्फुटित कुष्ठ तथा तोद : ७९२१ सिंहनाद ,, कुष्ट, वातरक्त, नाड़ीबग आदि भेदादि कुष्ठ की पीड़ा .७९२६ स्वायम्भुवो ,, श्वित्र, वातरक्त, कोठ, ७८७७ सोमराजीयोगः श्वेत कुष्ठको शीघ्र नष्ट । श्लीपदादि करता है। ७९२७ , ,, श्वित्र, वातरक्त, कुष्टादि ७८७८ , रसायनम् १ वर्ष में तीव्र कुष्ठ को भी नष्ट कर देता है। अवलेह-प्रकरणम् ७९२९ सप्तसमोऽवलेहः कुष्ठनाशक, मेध्य, वृष्य ७८७९ सोमराज्यायुद्ध __ ७९३३ सितादि लेहः कः साध्य कुष्ठनाशक तनम् मर्दन करनेसे उग्र कुष्ठ सरलयोग नष्ट होता है। . For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy