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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[शकाग़दि प्रत्यहं दीयते सा च गुटिकैका सशर्करा। इनमेंसे एक एक गोली खांडके साथ खानी द्वियामे समतिकान्ते भोज्यं माषस्य खादयेत् ॥ चाहिये और दवा खानेके २ पहर पश्चात् उड़दका दिनाष्टकमियं देया श्वित्रकुष्ठं विनाशयेत् । बना हुवा आहार खाना चाहिये ।
अंकोल और देवदाली समान भाग ले कर इसके आठ दिनके सेवनसे श्वित्र कुष्ठ नष्ट चूर्ण बनावें और उसे ( पानीमें ) घोटकर लगभग | हो जाता है। बेरके बराबर गोलियां बना लें।
। इति शफारादिगुटिकापकरणम् ॥
अथ शकारादिगुग्गुलुप्रकरणम् (७३४५) शतावरी गुग्गुलुः । तोयाढके तत्कथितं विधाय (र. र. स. । उ. अ. २१ )
पादावशेषे त्ववतारणीयम् ॥ शतावरी गुडूची च सारणी गोक्षुरः कणा।। एरण्डतैलं द्विपलं निधाय शताहा दीप्यका रास्ना ह्यश्वगन्धा च शशिका।। पिचुत्रयं गन्धकनामकस्य । कचोरो नागरैश्चैते चूर्णनीयाः समांशकाः ।। पचेरपुरस्यात्र पलद्वयश एतैः सर्वैः समो ग्राह्यो गुग्गुलमहिषाख्यकः ॥ . पाकावशेषे च विचूर्ण्य दद्यात् ।। खण्डयित्वा घृतेनाऽऽ, पूर्वचूर्ण विनिक्षिपेत् । रास्ना विडा मरिचं कणा च सम्पर्ध सर्पिषा गाढं कर्षाधं गुलिकां किरे ।। दन्तीजटानागरदेवदारु। .: शतावर, गिलोय, प्रसारणी, गोखरु, पीपल, प्रत्येकशः कोलमितं तथैषां सोया, अजवायन, रास्ना, असगन्ध, चोरपुष्पी, विचूर्ण्य निःक्षिप्य नियोजयेच्च ॥ कपूर और सेठि समान भाग ले कर चूर्ण बनावें आमवाते कटीशूले और सबके बराबर शुद्ध गूगल ले कर उसमें आ
गृध्रसीक्रोष्टुशीर्षके। वश्यकतानुसार घी और थोड़ा थोड़ा यह चूर्ण न चान्यदस्ति भैषज्यं मिला कर खूब कूटें, यहां तक कि सब चीजें
यथायं गुग्गुलुः स्मृतः। मिल कर एक जीव हो जाएं।
हर, बहेड़ा और आमला २०-२० तोले यह गूगल वातव्याधिको नष्ट करता है। ले कर सबको ८ सेर पानीमें पका और २ सेर
(७३४६) शिवागुग्गुलुः शेष रहने पर छान लें । तदनन्तर उसमें १० तोले (रसे. सा. सं. ; धन्व.; र. रा. सु. । आमवाता.) अण्डीका तेल, ३॥ तोले शुद्ध गंधक तथा १० शिवाविभीतामलकीफलानां तोले शुद्ध गूगल मिला कर पुनः पकावें। जब
'प्रत्येकशो मुष्टिचतुष्टया पानी जल जाय तो अग्निसे नीचे उतार कर उसमें
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