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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८९६ ५००४ मयूरशिखामूल योगः ५०१९ मातुलुङ्गबीजयोगः ५०३७ मुद्गयूष योगः ५०७४ मुस्तादि गणः ५०८५ मूषिककर्णीयोगः ५७४२ योनिशूलहरो योगः ५७४३ योनिसङ्कोचक क्वाथः ६५४६ वृषादि क्वाथः www.kobatirth.org भारत - भैषज्य रत्नाकरः गर्भस्थापक ( सरल योग ) " " सर्व सूतिका रोग योनिशोधक, स्तन्यशोधक, कफनाशक वन्ध्यत्व योनिशल, योनि दाह योनिको वालिकाकी योनि समान दृढ़ करता है । योनिसङ्कोचक रक्त प्रदरके वेगवान रक्तको रोकता है । ५७४४ योग: ५८५२ रक्तशालि पिष्ट योगः ५८९६ रोधादिगणः 13 17 ५८९९ रोहित्कादि कल्कः योनिदोष, कफ, मेद ३ दिनमें प्रदरको नष्ट करता है । ६१९२ लक्ष्मणामूलयोगः वन्ध्यत्व ६१९८ लज्जालुयोगः ६१९९ लज्जावत्यादियोगः गर्भपात निवारक ". ६४७५ वज्रकांजिकम् मक्कल शूल नाशक, स्तन्य वर्द्धक, अग्नि दीपक अनेकविध प्रदर 19 " चूर्ण-प्रकरणम् ५०९५ मधुकादिचूर्णम् कफज प्रदर ५१२७ मातुलुङ्गमूलादि गर्भस्थापक योगः ५१२८ मातुलुङ्गादिचू० ५१३१ मालती योगः ५१३६ माषादि चूर्णम् ५१४१ मुद्रपुष्पादियोगः " ५१५८ मेथिकाद्यचूर्णम ५७५० यवक्षार योगः मक्कल शूल ५७६९ यष्ट्यादिचूर्णम् स्तनका व्रण गर्भिणीकी ५७७० "" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ स्त्रीरोग सुखप्रसव कारक प्रसूताकी उदवृद्धि सोमरोग योनिसंकोचक, जल स्रावशोषक गर्भावरोधनाशक प्रसव पीड़ा ५९०६ रसाञ्जनादियोगः रक्त प्रदर For Private And Personal Use Only ५९०७ 12 17 वन्ध्यत्व ५९२० रेणुकादि योग: ६५७५ वचादि चूर्णम् योनिशूल ६५९६ वनकार्पासयोगः स्तन्यवर्द्धक ५२३० महाकल्याणकं घृतम ܕ 33 गुटिका-प्रकरणम् ५१६८ मलयूफलमोदकम् प्रदर ५९२३ रक्तबोलादिगुटिका मक्कलशूल, प्रसूताका, अत्यधिक रक्तस्राव ५९२४ रजः प्रवर्तिनीवटी नष्टार्तव कष्टार्तव, पीडितार्तव वमन, घृत-प्रकरणम् ५२०९ मञ्जिष्ठादिघृतम् योनिशूल, गर्भिणीके लिये हितकारी वन्ध्यत्व, गर्भसम्बन्धी समस्त विकार, कन्या ही कन्याएं अथवा मृत्
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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