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५००४ मयूरशिखामूल योगः
५०१९ मातुलुङ्गबीजयोगः ५०३७ मुद्गयूष योगः
५०७४ मुस्तादि गणः
५०८५ मूषिककर्णीयोगः
५७४२ योनिशूलहरो
योगः
५७४३ योनिसङ्कोचक
क्वाथः
६५४६ वृषादि क्वाथः
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भारत - भैषज्य रत्नाकरः
गर्भस्थापक ( सरल
योग )
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सर्व सूतिका रोग योनिशोधक, स्तन्यशोधक, कफनाशक वन्ध्यत्व
योनिशल, योनि दाह
योनिको वालिकाकी
योनि समान दृढ़ करता है । योनिसङ्कोचक रक्त प्रदरके वेगवान रक्तको रोकता है ।
५७४४ योग: ५८५२ रक्तशालि पिष्ट योगः ५८९६ रोधादिगणः
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५८९९ रोहित्कादि
कल्कः
योनिदोष, कफ, मेद ३ दिनमें प्रदरको नष्ट करता है । ६१९२ लक्ष्मणामूलयोगः वन्ध्यत्व ६१९८ लज्जालुयोगः ६१९९ लज्जावत्यादियोगः
गर्भपात निवारक
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६४७५ वज्रकांजिकम्
मक्कल शूल नाशक, स्तन्य वर्द्धक, अग्नि
दीपक
अनेकविध प्रदर
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चूर्ण-प्रकरणम्
५०९५ मधुकादिचूर्णम् कफज प्रदर ५१२७ मातुलुङ्गमूलादि गर्भस्थापक
योगः
५१२८ मातुलुङ्गादिचू०
५१३१ मालती योगः
५१३६ माषादि चूर्णम् ५१४१ मुद्रपुष्पादियोगः
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५१५८ मेथिकाद्यचूर्णम ५७५० यवक्षार योगः मक्कल शूल ५७६९ यष्ट्यादिचूर्णम् स्तनका व्रण गर्भिणीकी
५७७०
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[ स्त्रीरोग
सुखप्रसव कारक प्रसूताकी उदवृद्धि सोमरोग
योनिसंकोचक, जल
स्रावशोषक
गर्भावरोधनाशक
प्रसव पीड़ा
५९०६ रसाञ्जनादियोगः रक्त प्रदर
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५९०७ 12
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वन्ध्यत्व
५९२० रेणुकादि योग: ६५७५ वचादि चूर्णम् योनिशूल ६५९६ वनकार्पासयोगः स्तन्यवर्द्धक
५२३० महाकल्याणकं
घृतम
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गुटिका-प्रकरणम्
५१६८ मलयूफलमोदकम् प्रदर
५९२३ रक्तबोलादिगुटिका मक्कलशूल, प्रसूताका, अत्यधिक रक्तस्राव
५९२४ रजः प्रवर्तिनीवटी नष्टार्तव कष्टार्तव,
पीडितार्तव
वमन,
घृत-प्रकरणम्
५२०९ मञ्जिष्ठादिघृतम् योनिशूल, गर्भिणीके
लिये हितकारी वन्ध्यत्व, गर्भसम्बन्धी समस्त विकार, कन्या
ही कन्याएं अथवा मृत्