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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६४ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [निद्रानाश (३०) निद्रानाशाधिकारः चूर्ण-प्रकरणम् ६६०४ विजया योगः निद्रानाश, अग्निमांद्य, अतिसार . (३१) नेत्र-रोगाधिकारः कषाय-प्रकरणम् । ५२४३ महा पटोलाद्यं लाल रेखाएं, पटल, ५०१३ महावासादिक्वाथः नेत्रकण्डु, तिमिर, नेत्र घृतम् वण, शुक्र, नक्तान्थ्य, दाह, पिल्ल, व्रण पिल्ल, दूरदृष्टि, दृष्टिकी ५७३२ यष्टयादिक्वाथः नेत्ररोग मन्दता आदि ५७४० यष्टयाद्याश्च्योतनम् दाहयुक्त सबण नेत्रशुक्र ५९४४ रास्नाद्यं धृतम् तिमिर ६४७१ वचादिक्वाथः पुराना नकुलान्ध्य, काच ६७४५ वासामृता गुग्गु. आंखोंसे पानी जोना, नक्तान्ध्य घृतम् नेत्रशोथ, नेत्रमल, नेत्र ६४७४ , योगः कफ, तिमिर कण्डू, तिमिर आदि ६५०२ वासकादिकषायः नेत्रगत रक्तस्राव, कफ ६५१८ , क्वाथः समस्त नेत्राभिष्यन्द, तैल-प्रकरणम् ५२९९ महापिप्पल्याचं तिमिर, नक्तान्ध्य, नेत्रचूर्ण-प्रकरणम् तैल कण्डू, नेत्रस्राव, दूरदृष्टि आसन्नदृष्टि आदि ५६०७ मुक्तादि चूर्णम् तिरि, काच, खाज, नेत्राभिष्यन्द लेप-प्रकरणम् ५३६४ मरिचादि लेपः अर्म गुग्गुलु-प्रकरणम् ५८१६ यष्टयादि , हर प्रकारकी नेत्रपीड़ा ६२५७ लोहादि गुग्गुलुः नेत्रशुक्र ५९८२ रसाञ्जनादि, समस्त नेत्ररोग ५९८४ , , कफाभिष्यन्द घृत-प्रकरणम्. ६३१३ लोध्रादि , नेत्राभिष्यन्द ५२१५ मधुकादि घृतम् अभिघातज नेत्ररोग ५२२२ मसूरादि , तिमिर नेत्रपीड़ा For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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