________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७७८
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[वकारादि
अनु हिममदयुक्तो माषमात्रः स मूतः
(७०६४) विश्वहितरसः प्रशमयति विकाराञ्छ्ले ष्मवातामजातान् ॥ (र. र. स. । उ. अ. २० ) प्रबलमलविबन्धानाहमाटोपमुग्रं रसेन्द्रलिप्तताम्रस्य पत्रं गन्धकमारितम् ।
ज्वरमरुचिविमचिं शूलमन्नद्रवादीन् । तत्तानं पलमात्रं हि पलमात्रं तु यावकम् ॥ हरति च सहसाऽयं जाठरान् सर्वरोगान् ।
| पलं चूर्णितशुद्धालं मर्दयेत्तु दिनत्रयम् । ___ ग्रहणिगदविमुख्यानाहयक्ष्मातिसारान् ।।
इति सिद्धो रसः प्रोक्तो नाम्ना विश्व हितो मतः।।
| वल्लाभ्यां तुलितः सेव्यो मरीचघृतसंयुतः ॥ गिरीशविहिततन्त्रे मन्त्रयुक्त्या नियुक्तो
___शुद्ध ताम्र पत्रों पर (नीबूके रसमें घुटे हुवे) ... निखिलगुणनिवासो विश्वरूपो रसोऽयम्।। पारदका लेप करके उनके ऊपर नीचे ( २ गुना)
सोंठ, मिर्च, पीपल, ल्हसन, कलौंजी, सफेद | गंधक रख कर शरावसम्पुटमें बन्द करें और और काला जीरा, चीतामूल, सुगन्धबाला, लौंग, | गजपुटमें पकावें । इसी प्रकार कई पुट दे कर खुरासानी अजवायन, कमल, पीपलामूल, हर, भस्म करें । मुलैठी, छोटी इलायची, जीरा, बायबिडंग, सेंधा- यह भस्म ५ तोले, जवाखार ५ तोले और नमक, तेजपात, नागरमोथा, सौंफ, निसोत, शुद्ध हरतालका चूर्ण ५ तोले ले कर सबको एकत्र अजमोद, मेथी, दालचीनी, छोटी हर, बहेड़ा, मिला कर ३ दिन खरल करके रक्खें । आमला, बेलकी जड़की छाल, कुड़ेकी जड़की छाल,
___ मात्रा-६ रत्ती। अतीस, बिड़ नमक, हींग, नागभस्म, सफेद पुन- इसे काली मिर्च के चूर्ण और घृतके साथ नवा, खस, जावत्री और जायफल १-१ भाग | सेवन करनेसे कुष्ट नष्ट होता है। तथा हरॊके साथ मिला कर तक्रमें पकाए हुवे
(७०६५) विश्वादिवटी कुचले सबके बराबर ले कर सबके चूर्णको एकत्र
| (वृ. नि. र. । अतिसारा. ; यो. र. । अतिसारा.) मिलावें और फिर उसमें १-१ भाग कपूर और
विश्वजीरकसिन्धुत्थहिङ्गुजातिफलानि च । कस्तूरी मिला कर खरल करके रक्खें ।
साम्रास्थि शङ्ख खण्डं च दनाम्लेन प्रपेषयेत् ॥ मात्रा-१ माशा।
ईषदङ्गारकैद॑ष्टा वटिका कर्षसम्मिता। . इसके सेवनसे कफ वायु और आम जनित पक्वापक्वमतीसारं सशूलं ग्रहणीगदम् ॥ विकार, प्रबल मलावरोध, आनाह, उग्र आटोप, | चिरोत्थमचिरोत्थं च नाशयेन्नात्रसंशयः ॥ ज्वर, अरुचि, विसूचिका, अन्नद्रवादि शूल, समस्त सांठ, जीरा, सेंधा नमक, हींग, जायफल, उदर रोग, ग्रहणी, यक्ष्मा और अतिसारका नाश आमकी गुठली और शंख भस्म तथा मिश्री समान होता है।
भाग ले कर सबको एकत्र खरल करके खट्टी दहीमें
For Private And Personal Use Only