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रसप्रकरणम् ]
चतुर्थों भागः
७७१
पादोनकर्प स्वरसेन खल्वे
मात्रा-२ से ४ रत्ती तक । शिलातले मन्युमणि दलस्य ।
अनुपान-गोदुग्ध या शीतल जल । सम्मी यत्नादतिशुद्धगन्ध
इसके सेवनसे चिरनष्ट अग्नि भी दीत हो पाषाणचूर्णन पिचून्मितेन ॥
जाती है । इसके अतिरिक्त यह परिणाम शूल युक्त्या ततः पूर्वरजांसि दवा |
अन्नद्रव शूल, यक्ष्मा, अम्लपित्त, ग्रहणी, जीर्ण ज्वर सर्पिर्मधुभ्यामवमयं यत्नात् ।
और उग्र रक्तपित्तको नष्ट करता है। संस्थापये स्निग्धविशुद्धभाण्डे
(७०४७) विद्याधराभ्रम् (वृहद्) ततः प्रयोज्योस्य रसायनस्य ।। वल्लप्रमाणन्त्वथवा द्विवलं
(भै. र. ; र. च. ; धन्व. ; रसे. सो. सं. । शूला.) गव्यं पयो वा शिशिरं जलं वा। शुद्धमूतं तथा गन्धं फलत्रयकटुत्रयम् । पिचेदयं योगवरः प्रभूत
विडङ्गमुस्तकश्चैव त्रिता दन्तिचित्रकम् ॥ __ कालप्रणष्टानलदीपकश्च ॥ आखुपर्णी ग्रन्थिकञ्च प्रत्येकं कर्षसम्मितम् । रोगेषु हन्यात्परिणामशूलं | पलं कृष्णाभ्रचूर्णस्य मृतायश्च चतुगुणम् ॥ शूलं तथान्नद्रवसंज्ञकश्च ।
घृतेन मधुना पिटवा वटीं गुञ्जात्रयोन्मिताम् । यक्ष्माम्लपित्तं ग्रहणी प्रदुष्टां एकैकां वटिकां खादेत् प्रातरुत्थाय नित्यशः॥
जीर्णज्वरं लोहितपित्तमुग्रम् ॥ अनुपानं गवां क्षीरं नीरं वा नारिकेलजम् । न सन्ति ते यान निहन्ति रोगान | सर्वशूलं निहन्त्याशु वातपित्तभवं तथा ॥
योगोत्तमः सम्यगुपास्यमानः॥ एकजं द्वन्द्वजञ्चव तथैव सान्निपातिकम् । बायबिडंग, नागरमोथा, हरं, बहेड़ा, आमला, परिणामोद्भवं शूलमामवातोद्भवं तथा ॥ गिलोय, दन्तीमूल, निसोत, चीता, सांठ, मिर्च काश्य वैवीमालस्थं तन्द्रारुचिविनाशनम् ।
और पीपल १।-१। तोला तथा गोमूत्रद्वारा शुद्ध साध्यासाध्यं निहन्त्याशु भास्करस्तिमिरं यथा । पुराने मण्डूरकी भस्म या लोह भस्म २० तोले, । शुद्ध पारद, शुद्र गंधक, हर्र, बहेड़ा, आमला, अभ्रक भस्म ५ तोले, मण्डूकपर्णीके रसमें शुद्ध सांठ, मिर्च, पीपल, बायबिडंग, नागरमोथा, निसोत, किया हुवा पारद ११॥ माशे और शुद्ध गंधक १। दन्तीमूल, चीतामूल, मूषाकन्नी और पीपलामूल तोला ले कर प्रथम पारद गंधककी कजली बनावें १४-१। तोला, कृष्णाभ्रक भस्म ५ तोले और
और फिर उसमें अन्य ओषधियोंका महीन चूर्ण लोह भस्म २० तोले ले कर प्रथम पारे गंधककी मिला कर खरल करके सुरक्षित रक्खें । कज्जली बनावें और फिर उसमें अन्य ओषधियोंका
इसे घी और शहद में मिला कर सेवन करना । बारीक चूर्ण मिला कर घी और शहदमें घोट कर चाहिये।
३-३ रत्तीकी गोलियां बना लें।
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