SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 734
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७३१ रसप्रकरणम् ] चतुर्थो भागः मूत्राघातं तथा घोरं मूत्रकृच्छ्रश्च दारुणम् ।। सेंधा नमकको आकके दूधकी भावना दे कर अश्मरी विनिहन्त्याशु प्रमेहं विषमज्वरम् ॥ । धूपमें सुखा कर रखें । बलपुष्टिकरञ्चव वृष्यमायुष्यमेव च । मात्रा--७॥ माशे । वरुणायमिदं लौहं चरकेण विनिर्मितम् ॥ | साथ पीनेसे वमन बरनेकी छाल और आमला १०-१० तोले, जाती है। धायके फूल ५ ताले, हर्र २॥ तोले, पृश्निपर्णी १। तोला, लोह भस्म ११ तोला और अभ्रक (६९६६) वमनामृतयोगः भस्म १। तोला ले कर सबको एकत्र खरल करें । (र. चं. ; यो. र. । छद्य. ) मात्रा-१ शाण ( ४ माशे) गन्धकः कमलाक्षश्च यष्टीमधु शिलाजतु । इसके सेवनसे मूत्राघात, दारुण मूत्रकृच्छू, रुद्राक्षष्टङ्कणश्चैव सारङ्गस्य च शृङ्गकम् ॥ अश्मरी और विषमज्वरका नाश होता तथा बल, वीर्य, पुष्टि और आयुको वृद्धि होती है । चन्दनं च तवक्षीरी गोरोचनमिदं समम् । बिल्वमूलकषायेण मर्दयेद्याममात्रकम् ॥ (६९६४) वमनकारकरस: मात्रां चैव प्रकुर्वीत वल्लस्यैव प्रमाणतः । ( र. स. क. । उला. ४) नानाविधानुपानेन छदि हन्ति त्रिदोषजाम् ॥ राठाकौं मधुकं चैकसाधीद्वपञ्चभागकम् । वमनामृतयोगोऽयं कमलाकरभाषितः ।। टकैकाम्बुयुतं दत्तं रसोऽयं वामकः स्मृतः॥ शुद्ध गन्धक, कमलगट्टा, मुलैठी, शिलाजीत, मैनफलके बीज १॥ भाग, आककी जड़की छाल २ भाग और मुलैठी ५ भाग ले कर यथा रुद्राक्ष, सुहागा, हरिनशृंगकी भस्म, सफेद चन्दन, विधि चूर्ण बना कर रखें । तवक्षीर ( तबाखीर), और गोरोचन; सबका चूर्ण मात्रा--१ टंक (४-५ माशे ।) समान भाग लेकर सबको एकत्र मिला कर बेलकी इसे पानीके साथ देनेसे वमन हो जाती है। जड़के क्वाथमें १ पहर घोट कर सुखा कर रक्खें । (६९६५) वमनकारको रसः (र. सं. क. । उल्ला. ५) मात्रा-३ रत्ती। लवणं भानुदुग्धेन सद्भावितमातपे । इसे उचित अनुपानके साथ देनेसे त्रिदोषज गव्येन पयसा पीतं कर्षार्ध वान्तिकारकम् ॥ । छदि नष्ट होती है। For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy