________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तैलपकरणम् ]
चतुर्थों भागः
इसकी बस्ति लेने और इसे पीनेसे गृध्रसी २ सेर तिलके तेलमें उपरोक्त काथ तथा ८ नष्ट होती है।
| सेर गाय या भैंसका दूध और कल्क मिला कर ( मात्रा-१ तोला।)
मन्दाग्नि पर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाय
तो तेलको छान लें। (६७८५) वातकुलान्तकं तैलम्
इसकी मालिश करने या नस्य लेने अथवा (र. र. । वाता.)
इसके पीनेसे भग्न, खञ्ज और पङ्गुता आदि वातमूलञ्चैवाश्वगन्धाया गृहीत्वा खण्डशः शतम् ।
| रोगोंका नाश होता है। पश्चाशत् पलमानन्तु जलद्रोणे विपाचयेत् ॥ पादशेषे हरेत्क्वाथ क्वाथांशं तिलतैलकम् ।
(६७८६) वातारितैलम् (१) तैलाचतुर्गुणं क्षीरं गव्यं वा माहिषन्तथा ।
(ग. नि. । पार. तैला. २ ) शतपुष्पा कणा चैला कुष्ठश्च कण्टकारिका । | शतावर्यास्तुलामेकां तुलां गोक्षुरकस्य च । शुण्ठी यष्टी देवदारु शालपर्णी पुनर्नवा ॥ | तुलाधै तिलतैलस्य चैरण्डस्य पलानि षट् ॥ मनिष्ठा पत्रकं रास्ना वचा पुष्करमूलकम् । एरण्डपत्रस्वरसपलानि नव कारयेत् । यवानी भूतिकं मांसी निर्गुण्डी पयस्या बला॥ बुकशिग्रुकतारी सिन्दुवारसुवर्णकात् ॥ वहिगोक्षुरकश्चैव मृणालं बहुपुत्रिका । नीलिकाग्रन्थिपर्णाभ्यां करअकेशरमकात् । मतिकर्षमिदं योज्यं सर्वमेका पाचयेत ॥ षट्पलं गुग्गुलोर्दत्त्वा तैलं मृत मिना पचेत् ।। तैलशेषं समुद्धत्य सिद्ध पातकुलान्तकम् । कौब्ज्याक्षेपकपाङ्गुल्यमुप्तत्वज्मन्दगामिसाः। अभ्यङ्गे योजयेत् पाने नस्यकर्मणि सर्वदा ॥ | पक्षाघातहनुस्तम्भसन्धिरोगादिकानपि ॥ भग्नानां खअपनां शान्तिमानोति नान्यथा| नाशयेत्तत्क्षणादेव तमः सूर्योदये यथा । ___ क्वाथ-३ सेर १० तोले असगन्धको कट | तैलं वातारिनामेदं सर्ववातहरं परम् ॥ कर ३२ सेर पानीमें पकावें और ८ सेर शेष क्वाथ-६। सेर शतावर और ६। सेर रहने पर छान लें।
गोखरुको एकत्र कूट कर ६४ सेर पानी में पकावें कल्क--सोया, पीपल, इलायची, कूट, और १६ सेर पानी शेष रहने पर छान लें । कटेली, सोंठ, मुलैठी, देवदारु, शालपर्णी, पुनर्नवा
कल्क---अरण्डकी जड़, संहजनेकी जड़, ( बिसखपरा ), मजीठ, तेजपात, रास्ना, बच, | अरणी, सफेद संभालू धतूरा, नीलिका, गठीवन, पोखरमूल, अजवायन, कायफल, जटामांसी, संभालू, | करन और भंगरा तथा गूगल ६-६ पल ले कर क्षीरकाकोली, खरटी, चीता, गोखरु, कमलनाल
सबको एकत्र पीस लें । और शतावर १०-११ तोला ले कर सबको एकत्र ६। सेर तिलका तेल और ६० तोले अरण्डका पीस लें।
तेल, ६० तोले अरण्डके पत्तोंका स्वरस एवं उप
12
For Private And Personal Use Only