________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुटिकाप्रकरणम् ]
चतुर्थों भागः तदनन्तर एक भाग यह चूर्ण, और १-१ भाग | ये गोलियां वीर्यस्तम्भक और बल, वर्ण तथा भांगके पत्तों और सोनागेरुका चूर्ण लेकर सबको | अग्निकी वृद्धि करने वाली हैं। एकत्र मिलाकर उसे पोस्तके रसकी २१ भावना दें वीर्यस्तम्भनी गुटिका और (१-१ माशेकी ) गोलियां बनालें। (न. मृ. । त. ५ ; वृ. यो. त. । त. १४७ ; इनके सेवनसे वीर्यस्तम्भन होता है।
र. चं. । वाजीकरणा.) । (६६७६) वीर्यस्तम्भकवटिका
प्र. सं. २०१७ " जाती फलादि वटी" (र. चं. । वाजीकरणा.)
देखिये। नागफेनयुता जातीपत्री नागलता समा।
वृकोदरी वटी सम्मी यामयुग्मं तु कारयेद् गुटिकोत्तमा ॥ रस प्रकरण में देखिये। सुगन्धैर्मिश्रिता देया दुग्धं तदनुपाययेत् ।।
(६६७८) वृद्धदारुमोदकम् नरः स दशनारीणां भवेत्तृप्तिकरो रतौ ॥
( वै. र. । अर्शी. ; शा. सं. । खं. २ अ. ७ ____ अफीम, जावत्री, और पानेांका चूर्ण समान
वृ. नि. र. । ग्रहण्य.) भाग ले कर सबको २ पहर एकत्र घोटकर (चनेके
वृद्धदारुकभल्लातं शुण्ठो चूर्णन योजयेत् । बराबर) गोलियां बना लें।
सगुडो मोदको हन्यात् पड्विधार्शः कृतां रुजम्।। इनमेंसे एक गोली ( कस्तूरी या कपूरसे )
बिधारा, भिलावा, और सोंठका चूर्ण १-१ सुगन्धित करके दूधके साथ खानेसे पुरुष १०
भाग तथा गुड़ सबके बराबर लेकर एकत्र मिलाकर स्त्रियोंको तृप्त कर सकता है।
| ( ६-६ माशेके ) मोदक बनावें। __ (६६७७) वीर्यस्तम्भकवटी
इनके सेवनसे ६ प्रकारका अर्श रोग नष्ट (यो. र.)
होता है। जातीफलं लवङ्गं च जातीपत्रं सुकुङ्कुमम् ।
वृद्धिवाधिकावटिका मुक्ष्मैला चाहिफेनं त्वाकारकरभं तथा ।।
(भै. र. ; भा. प्र.। वृद्ध्य.] प्रत्येकं कर्षमात्राणि कर्पूरं शाणमात्रकम् । रस प्रकरणमें देखिये। नागवल्लीदलरसैर्वट। चणकसन्निभा ॥
(६६७९) वृष्यगुटिका वीर्यस्तम्भिनी ह्येषा बलवर्णाग्रिदीपनी।
(च. सं. । चि. अ. २ वाजीकर.) जायफल, लौंग, जावत्री, केसर, छोटी इला- घृतपात्रं शतगुणे विदारीस्वरसे पचेत् । यची, अफीम और अकरकरा १।-१। तोले तथा | सिद्धं पुनः शतगुणे गव्ये पयसि साधयेत् ॥ कपूर ३॥ माशे ले कर सबको पानोंके शर्करायास्तुगाक्षीUः क्षौद्रस्येक्षुरकस्य च । रसमें घोट कर चनेके बराबर गोलियां बना लें। पिप्पल्याः साजडायाश्च भागैः पादांशिकैयुतम्॥
For Private And Personal Use Only